नई दिल्ली: देश के तमाम ब्लड बैंकों में पिछले पांच सालों में बहुमूल्य मानव रक्त के 28 लाख यूनिट बर्बाद हो गए वहीं यह बात भी गौर करने वाली है कि यहां के 87 जिलों में ब्लड बैंक है ही नहीं। जबकि देश के हर जिले में कम से कम एक ब्लड बैंक होना अनिवार्य है। इससे ब्लड बैंक व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, देश के ब्लड बैंकिंग सिस्टम में भी भारी कमियां सामने आई हैं। अगर लीटर में जोड़ा जाए तो पांच सालों में करीब 6 लाख लीटर खून बर्बाद किया गया है। जोकि पानी वाले 53 टैंकर्स के बराबर है।
56 वाटर टैंक के बराबर खून बर्बाद
ब्लड बैंक में हुए इस नुकसान को आंकें तो यह कुल मात्रा का करीब 6 फीसद है जो कि यह करीब 6 लाख लीटर की मात्रा है यानि 56 वाटर टैंकर के बराबर। जिन जिलों में ब्लड बैंक नहीं हैं उनके बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि इन जगहों पर कभी ब्लड बैंक बनाए ही नहीं गए।
यहां तो ब्लड बैंक है ही नहीं…
आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 1,050 ब्लड बैंक हैं जिनमें से मात्र 74 फीसद कार्य कर रहे हैं। इसमें सबसे ऊपर तेलंगाना है जहां के 31 में से 13 जिले में ब्लड बैंक नहीं है। इसके बाद छत्तीसगढ़ जहां 11 जिले, अरुणाचल के 9 जिले, मणिपुर और झारखंड के 9-9 जिले, यूपी के चार जिले में ब्लड बैंक नहीं हैं। इसके अलावा नागालैंड, उतरांचल, त्रिपुरा, कर्नाटक के प्रत्येक तीन जिलों में ब्लड बैंक की सुविधा मौजूद नहीं है। सिक्किम के दो जिलों में ब्लड बैंक नहीं है जबकि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के एक-एक जिले में ब्लड बैंक नहीं है। बिहार, असम और मेघालय में से प्रत्येक राज्य के पांच जिले बगैर ब्लड बैंक के हैं।
खून की बर्बादी में ये हैं आगे
महाराष्ट्र, यूपी, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्य इस बर्बादी में सबसे आगे रहे। इन राज्यों ने न केवल खून, बल्कि खून के कई जीवन रक्षक अंश मसलन-रेड ब्लड सेल्स और प्लाज्मा भी बर्बाद कर दिए। सिर्फ 2016-17 में 6.57 लाख यूनिट खून और अन्य अवयव फेंक दिए गए। महाराष्ट्र इकलौता राज्य है, जहां ब्लड कलेक्शन का आंकड़ा 10 लाख लीटर पार कर गया। हालांकि, खून की बर्बादी के मामले में भी यह राज्य टॉप पर रहा। इसके बाद, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश का नंबर आता है।
इतने दिनों तक होते हैं सुरक्षित
बर्बाद खून की यूनिट का पचास फीसद हिस्सा प्लाज्मा है जिसे सुरक्षित रखने की अवधि समूचे खून या आरबीसी के मुकाबले करीब एक साल अधिक होती है। इसके अलावा, खून या आरबीसी को 35 दिनों के अंदर इस्तेमाल किया जा सकता है। ब्लड बैंकों में इतने बड़े पैमाने पर खून की बर्बादी का खुलासा एक आरटीआई के जवाब में नैशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से हुआ है। उल्लेखनीय है कि देश में हर वर्ष 30 लाख यूनिट खून की कमी हो जाती है।
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