राजस्थान: छोटी सी लापरवाही ने एक परिवार की खुशियां छीन ली। घटना जयपुर की है। कालवाड़ रोड स्थित चिरायु अस्पताल में न्यू बॉर्न बेबी को गर्माहट देने के लिए मशीन में रखा गया था। शार्ट सर्किट से मशीन में आग लग गई और नवजात बुरी तरह झुलस गया। अस्पताल में बर्न वार्ड होने के कारण उसे जेके लोन ले जाया गया लेकिन वहां भी बर्न वार्ड होने के कारण बच्चे को एसएमएस अस्पताल में दाखिल कराया गया।मंगलवार को सुबह छह बजे बच्चे की मौत हो गई।
घटना के बारे में कालवाड़ एचएसओ रमेश सैनी ने बताया बिन्दायका निवासी सुभाष चन्द गोस्वामी की पत्नी निर्मला को सोमवार शाम 5 बजे चिरायु हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। शाम करीब 6 बजे प्री-मेच्योर डिलेवरी करवाई गई। बच्चा काफी कमजोर था। उसे रात को वार्मर में रखा गया।
रात करीब 1 बजे वार्मर में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। इस घटना में नवजात भी गंभीर रूप से झुलस गया। बच्चे को एसएमएस में दाखिल कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवाया है। दूसरी ओर, चिरायु अस्पताल में जिस कमरे में नवजात रखा हुआ था, उसे को सील कर दिया गया है। हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज मामले की जांच की जा रही है।
ईलाज के हॉस्पिटल-हॉस्पिटल भटक रहा परिवार-
चिरायु हॉस्पिटल की वॉर्मिंग मशीन में बच्चा झुलस जाने के बाद उसे बच्चों के बड़े अस्पताल जेके लोन लेकर गए। डाक्टर्स ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया। पूछा तो इमरजेंसी के डॉक्टर्स ने बताया कि अस्पताल में बर्न वार्ड नहीं है। इसके बाद नवजात को एसएमएस अस्पताल के बर्न वार्ड में पहुंचाया गया। यहां पर भी नवजात के हिसाब से बर्न वार्ड में सुविधा नहीं मिली। पहले तो वार्ड में डॉक्टर्स ही मौजूद नहीं थे। सूचना के आधा घंटे बाद वार्ड में डाक्टर पहुंचे। नवजात का डाक्टर इलाज शुरू करते, तब तक देरी हो चुकी थी।
जेके लोन भी एसएमएस से सम्बद्ध है, बर्न वार्ड की जरूरत नहीं : गुप्ता
जेकेलॉन अस्पताल एसएमएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध है। ऐसे में अस्पताल में बर्न वार्ड होना जरूरी नहीं है। यहां पर आने वाले बर्न के मरीजों को एसएमएस अस्पताल के बर्न वार्ड में भी भेजा जाता है। -डॉ अशोक गुप्ता, अधीक्षक जेके लॉन
नवजात बुरी तरह से झुलस गया था, हमने पूरी कोशिश की : श्रीवास्तव
नवजातजब अस्पताल पहुंचा था, तब बुरी तरह से झुलसा हुआ था। हमारी टीम ने नवजात को बचाने की पूरी कोशिश की, अफसोस है हम उसे बचा नहीं पाए, सुबह 6 बजे उसकी मौत हा़े गई। -ॉसुनील श्रीवास्तव, प्रोफेसर, एसएमएस
क्या कहां पुलिस ने-
मशीनमें आग लगने की वजह प्रथमदृष्टया वार्मर में हाई वॉल्टेज आना है। कमरे में कई वार्मर मशीनें लगी हैं। मशीनें दो साल पुरानी है। कभी मशीनों का मेंटेनेंस नहीं हुआ। पावर कंट्रोल के लिए स्टैप्लाइजर भी नहीं था। हाई वॉल्टेज से आग लग गई।
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