संवाददाता भीलवाड़ा। आसींद हर व्यक्ति के अंदर जो अच्छाई है उसको खोजना चाहिए, मोक्षगामी आत्मा सदैव अच्छाई देखती है। धर्म के कार्य मे कभी प्रमाद व आलस्य नही करना चाहिए। जो अपराधी नही है, जिन्होंने आपको कभी नुकसान नही पहुँचाया है उसकी कभी हिंसा नही करनी चाहिए। हिंसा नही करना ही श्रावक का पहला धर्म है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि जिसकी गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा है उस पर गुरु का सदैव आशीर्वाद बना रहता है। छोटे – छोटे अणुव्रत लेकर अपनी आत्मा का उद्धार आसानी से किया जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम अतिव्यस्त होते हुए भी अणुव्रतधारी बने है। साध्वी ने सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए हस्तिनापुर के राजकुमार सुबाहु कुमार किस प्रकार भगवान के चरणों मे विनती करते है उस पर भी प्रकाश डाला। हमारे द्वारा अपनाये जाने वाले सद्गुण ही हमे सन्मार्ग के पथिक पर ले जाते है। न्याय नीति से व्यापार करके धनोपार्जन करना चाहिए, अनीति से कमाया गया धन पूर्व में संग्रहित धन को भी नष्ट कर देता है। अनीति का धन सुख सुविधा दे सकता है पर जीवन का सुकून छीन लेगा। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि चरित्र आत्माये आत्मा को जागृत करने की प्रेरणा दे सकती है, उसको सुनना और सुनकर अपने जीवन मे ग्रहण करना अपनी आत्मा पर निर्भर करता है। ज्ञानी, सदाचारी तथा उदार महापुरुषों के श्रेष्ठ जीवन की हमेशा अनुमोदना करनी चाहिए। तपस्या के क्रम में आज 11 उपवास के प्रत्याख्यान दीपिका मुकेश देशरडा ने ग्रहण किये। बाहर से आये आगन्तुको का संघ ने स्वागत किया।
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