हनुमानगढ़। कॉर्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन लखनऊ में किया गया, जिसमें देशभर से 7,000 से अधिक हार्ट स्पेशलिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टरों ने भाग लिया। हनुमानगढ़ से वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पारस जैन, डॉ. एसएस गेट, और डॉ. बृजेश गौड़ ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शिरकत की। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य हृदय रोगों के इलाज में नवीनतम तकनीकों और शोध पर चर्चा करना तथा इन बीमारियों की रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयास करना था। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय त्यागी के द्वारा उक्त कॉन्फ्रेंस की थीम प्रिवेंशन टू इंटरवेंशन (रोकथाम से हस्तक्षेप तक) रही। इसमें हृदय संबंधी गंभीर समस्याओं जैसे हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए फिजिशियन का सहयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रिवेंशन का कार्य फिजिशियन नहीं कर सकते हैं। उक्त कार्यशाला में 500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कार्डियोलॉजिस्ट ने भी इसमें हिस्सा लिया, जिन्होंने अपने अनुभव और नई खोजों को साझा किया। साथ ही, कार्डियोलॉजी क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रही तकनीकों और उनकी उपयोगिता पर गहन चर्चा हुई। डॉ. पारस जैन ने इस कॉन्फ्रेंस में अपनी प्रस्तुति के दौरान बताया कि हृदय रोगों के इलाज और उनकी जागरूकता में बीते दशकों में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि पहले भारत में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाइपास सर्जरी जैसी उन्नत तकनीकें नहीं थीं। ऐसे मरीजों को मद्रास या अन्य बड़े शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ता था। लेकिन अब, हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में भी ये सुविधाएं उपलब्ध हैं। एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर और खून पतला करने वाली दवाइयों जैसी सुविधाओं के माध्यम से मरीजों को राहत मिल रही है।
डॉ. बृजेश गौड़ ने बताया कि हृदय रोगों की रोकथाम के लिए सबसे पहले जीवनशैली में सुधार लाना अनिवार्य है। बीपी, मोटापा, डायबिटीज, और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं हृदय रोगों का प्रमुख कारण बनती हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में इन बीमारियों को नियंत्रित कर बड़े खतरे को टाला जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और तनाव प्रबंधन को अपनाकर लोग स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। डॉ. एसएस गेट ने भी जीवनशैली के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि स्वस्थ दिनचर्या अपनाकर हृदय संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जागरूकता कार्यक्रमों और सरकारी योजनाओं, जैसे कि आयुष्मान भारत योजना, ने हृदय रोगों के इलाज को आसान और सुलभ बनाया है। इस योजना के तहत गरीब और जरूरतमंद मरीजों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं मिल रही हैं।
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