कथावाचक पंडित अजय कृष्ण शास्त्री ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए

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हनुमानगढ़। जंक्शन के करणी चौक स्थित करणी धर्मशाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथावाचक पंडित अजय कृष्ण शास्त्री ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। कथा की शुरूवात यजमानों द्वारा पंडित विजय शर्मा के सानिध्य में भागवत जी की विधिवत पूजा अर्चना के साथ की। कथावाचक पंडित अजय कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथावाचक पंडित अजय कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं ।

उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है।

प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कथावाचक ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है। उक्त आयोजन को सफल बनाने में केशव सिंह राजावत, धर्मवीर राजावत, शिवकुमार सिंह, रामप्रताप सिंह, सुरेन्द्र सिंह, प्रेमवीर सिंह परिहार, बिशुन सिंह, सुरेश कुमार, गोपाल सिंह, सुधीर मिश्रा, श्योपत सिंह, अतर सिंह, महेन्द्र सिंह, नेपाल सिंह, मंगा सिंह राजावत, किशन सिंह, दिनेशपाल, स्वरूप सिंह, प्रमोद सिंह, विनोद कुमार कुशवाह, अरविन्द, पिन्टू, संतोष पाल, काशीराम भाटी व अन्य सदस्य जुटे हुए है।

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