नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंजा पंडाल

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– श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन
हनुमानगढ़। 
टाउन के सैक्टर नम्बर 03 स्थित श्री पंचमुखी बालाजी मन्दिर में श्रीपंचमुखी बालाजी सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा मे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बडे ही धूमधाम के साथ मनाया गया। कथा मे जैसे ही श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग आया पूरा पंडाल हाथी घोडा पालकी जय कन्हैयालाल के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने बाल स्वरूप श्रीकृष्ण के दर्शन किए और कथावाचक पंडित श्यामसुन्दर शास्त्री वृद्धावंन मथुराधाम ने कान्हा को दुलारा। पंडित श्यामसुन्दर शास्त्री ने श्रीकृष्ण प्रसंग सुनाते हुए कृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा कि कंस के अत्याचारों के कारण ही उसने अभिमान और अनितिपूर्वक राज करने के लिए अपने पिता उग्रसेन को बंदी बना लिया था। आकाशवाणी से अपनी भावी मृत्यु का संकेत पाकर उसने अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को बंदी बनाकर कारागार मे डाल दिया। वहां एक-एक कर उनके छह पुत्रों की हत्या कर दी।
सातवें गर्भ में खुद शेषनाग के आने पर योग माया ने उनके देवकी के गर्भ से निकाल कर वासुदेव की पहली पत्नी रोहणी के गर्भ मे स्थापित कर दिया। भगवान ने आठवी संतान के रूप मे जन्म लिया। इस दौरान बालकृष्ण को कंस के कारागार से नंद बाबा के घर ले जाने की झांकी भी प्रस्तुत की गई। कथा मे पंडित श्यामसुन्दर शास्त्री ने रसास्वादन करवाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी को रात्री 12 बजे रोहिणी नक्षत्र मे हुआ। भगवान कृष्ण ने संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए जन्म लिया और अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञान रुपी प्रकाश से दूर किया। उन्होने कहा कि जब जब धर्म की हानि इस एकता के भंग होने पर हूई है। भगवान ने अवतार लेकर इसे पुनः स्थापित किया हैं। सभी मानव के मानवीयता से अभिसिचि हो सकते हैं। अमानवीयता से नहीं। हम एक थे हम एक है और एक रहेंगे यह युगों का सत्य है।शरीर के अंग पृथक होकर भी एक है। सृष्टि के जीव भिन्ना होकर भी अभिन्ना हैं क्योंकि उसका सृष्टि एक हैं। उक्त आयोजन को सफल बनाने में अरूण अग्रवाल, मनोहरलाल कोचर, शंकर कान्सरिया, गोवर्धन भारवानी, तुलसीराम, घीसाराम गर्ग का विशेष सहयोग रहा।
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