राजस्थान में तेजी से मंप्स वायरस (Mumps virus) फैल रहा है। इसे गलसुआ के नाम से भी जाना जाता है। इस वायरस के पंद्रह केस फरवरी में सामने आए थे। अब ये तेजी से फैल रहा है। चौंकाने वाली बात यह कि सरकारी अस्पतालों में इसका टीका ही नहीं है। खांसने-छींकने से फैलने वाली इस संक्रामक बीमारी के जितने मामले पूरे साल में आते थे, उतने अब रोजाना आ रहे हैं।
ऐसा नहीं है ये मामले सिर्फ राजस्थान में आ रहे हैं बल्कि पूरे देशभर मंप्स वायरस के मामले बढ़ें हैं। पिछले दिनों केवल केरल में 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे।
अब तक इस वायरस के शिकार 6 मरीज हमेशा के लिए सुनने की क्षमता खो चुके हैं। इनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। राजस्थान स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर्स का कहना है कि मंप्स वायरस प्रभाव अप्रैल तक रहता है। इस साल मंप्स के केसों की संख्या में तेजी है। हर महीने 40 से 50 मरीज आ रहे हैं। वहीं बच्चों में यह संख्या इससे भी ज्यादा है। पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में मरीज नहीं बढ़ें।
क्या आप जानते हैं मंप्स क्या है? और इसके बचाव के उपाय क्या है..पढिए..
क्या है मंप्स वायरस?
मंप्स वायरस पहले के समय में काफी अधिक फैलता था। ये बच्चों को मुख्य तौर पर शिकार बनाता है। ये एक संक्रामक बीमारी है, जो मंप्स नाम के वायरस की वजह से होता है। मम्प्स वायरस (Mumps virus) पैरोटाइटिस नामक बीमारी का कारण बनता है। इसमें सिरदर्द, बुखार और थकान होने लगती है। इस वायरस का सबसे कॉमन सिम्प्टम है जबड़े का सूज जाना। 1967 में इसका वैक्सीन बना, जिसके बाद इसके केसेस में काफी कमी देखने को मिली।
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मंप्स वायरस के शुरुआती लक्षण?
मंप्स वायरस की शुरुआत में ज्यादातर लोग इसे समझ नहीं पाते। इसके बाद लोगों को बुखार आने लगता है, सिरदर्द, थकान, भूख ना लग्न और फिर मसल्स में क्रैम्प्स पड़ने लगते हैं। मंप्स वायरस में लोगों के गाल दोनों या किसी एक तरफ से सूज जाते हैं। अगर इसका सही से इलाज ना करवाया जाए, तो अंजाम भयानक भी हो सकते हैं। कईलोगों में मंप्स वायरस बहरेपन तक भी पहुंच जाता है।
बच्चों के लिए क्यों गंभीर बीमारी है वायरस?
यह संक्रामक बीमारी है, जो खांसने और छींकने से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। अगर समय पर इलाज मिले तो मंप्स से संक्रमित बच्चे करीब दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। कुछ मामलों में गंभीरता के कारण अधिक समय भी लग सकता है। ऐसे में वायरस के कारण बच्चों के ब्रेन, किडनी और हार्ट पर भी असर पड़ता है।
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बचाव के लिए क्या करें-
बच्चों को नौ महीने में पहला टीका लगाना चाहिए। निर्धारित अंतराल पर इसकी दो खुराक दी जाती हैं। बच्चों को मीजल्स, मंप्स और रूबेला (एमएमआर) का टीका लगाया जाता है। यह इस बीमारी से बचाता है। इसे अभी निजी अस्पताल में भी लगवाया जा सकता है। बच्चों को भरपूर मात्रा में लिक्विड चीजें पिलाएं। साफ-सफाई का ध्यान रखें।
India: 10,000 cases in 70 days, Kerala now has a mumps outbreak
The state is facing an outbreak of mumps, a contagious viral infection that spreads the same way as cold and flu, with over 10,000 children affected in less than 70 days.https://t.co/D5TCsRwNt0
— SARS‑CoV‑2 (COVID-19) (@COVID19_disease) March 10, 2024
मंप्स वायरस की रिपोर्टिंग क्यों बंद हुई?
राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत मीजल्स, रूबेला और मंप्स का टीका (एमएमआर) लगाया जाता था। लेकिन कुछ सालों से केवल मीजल्स और रूबेला (एमआर) का ही टीका लग रहा है। मंप्स का टीका नहीं लगाया जा रहा है। इस वजह से अब ये मामले बढ़ें है। लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग हरतक में आया है। जागरुक अभियान चलाया जा रहा है। वहीं कुछ जागरुक लोग अपने बच्चों को मंप्स का टीका अपने खर्चें पर निजी अस्पतालों में लगवा रहे हैं। इसके लिए उन्हें करीब 800 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
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