धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स को लेकर ICC और BCCI आमने-सामने, जानिए क्या है विवाद का कारण

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नई दिल्ली: क्रिकेट विश्वकप 2019 अपने खेल के कारण इतना सुर्खियों में नहीं जितना धोनी के ग्लव्स पर लगे ‘बलिदान बैज’ को लेकर। धोनी का समर्थन जहां पूरा भारत कर रहा है वहीं अब BCCI और ICC भी आमने-सामने आ गए हैं।

बुधवार को साउथेम्प्टन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान धोनी को बलिदान बैज के साथ विकेटकीपिंग करते हुए उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। अब ICC ने धोनी को अपने दस्ताने से यह निशान हटाने को कहा है लेकिन धोनी ने अपने ग्लव्स से इस निशान को हटाने से मना कर दिया। अब BCCI महेन्द्र सिंह धोनी के समर्थन में उतर आयी है। बीसीसीआई के COA चीफ विनोद राय ने कहा, ‘हम आईसीसी को एमएस धोनी को उनके दस्ताने पर ‘बलिदान बैज’ पहनने के लिए अनुमति लेने के लिए पहले ही चिट्ठी लिख चुके हैं।’

फैसले को लेकर सख्त हुआ आईसीसी-
खबर है कि ICC के नियमों के अनुसार अपील की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन BCCI के पास ICC को पत्र लिखने का अधिकार है। इस मामले को तकनीकी समिति को सौंपा जाएगा। जिसमें जेफ एल्डर्स, डेविड रिचर्डसन, कुमार संगकारा, हर्षा भोगले और स्टीव एलवर्थी शामिल हैं, लेकिन यह बहुत संभावना नहीं है कि वे अपना रुख बदल देंगे।

वरिष्ठ आईसीसी सूत्रों का कहना है कि संस्था किसी भी तरह से इस पर पुनर्विचार करने वाला नहीं है, क्योंकि कोई अन्य टीम भी ऐसा कुछ कह सकती है और ICC को इसे अनुमति देनी होगी। इसके बाद खेल के मैदान में भी धार्मिक या राजनीतिक संदेश जाएगा, जिस पर ICC कभी अनुमति नहीं दे सकती। तो यह लगभग तय है कि आईसीसी इस पर अपना रुख नहीं बदलेगी। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि BCCI ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक अपील नहीं की है।

धोनी ने क्यों लगाया-
महेंद्र सिंह धोनी ने प्रादेशिक सेना (टीए) की 106 पैराशूट रेजिमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में अपनी रैंक को साबित कर दिखाया था इसलिए उन्हें यह बैज लगाने की अनुमति मिली है। धोनी अगस्त 2015 में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे।

आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी करने के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न (Para Wings insignia) लगाने की अर्हता प्राप्त कर ली थी। यानी इसी के साथ धोनी को इस बैज के इस्तेमाल की योग्यता हासिल हो गई। गौरतलब है कि तब धोनी 1,250 फीट की ऊंचाई से कूद गए थे और एक मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतरे थे।

क्या है बलिदान बैज की विशेषता
पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास उनके अलग बैज होते हैं, जिन्हें ‘बलिदान’ के रूप में जाना जाता है। इस बैज में ‘बलिदान’ शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है।

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