MP बना रेप पीड़ितों के लिए बड़ा फैसला लेने वाला एकमात्र राज्य

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भोपाल: शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले एक बड़े और महत्वपूर्ण बिल को मंजूरी दी है। इस बिल में कहा गया है कि, 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार या किसी भी उम्र की महिला से सामूहिक बलात्कार किया जाएगा तो वह व्यक्ति केवल फांसी का हकदार होगा।

कैबिनेट में अपने फैसले के लिये 376AA और 376DA के रूप में संशोधन किया गया। ये भी कहा गया है कि लोक अभियोजन की सुनवाई का अवसर दिए बिना जमानत नहीं होगी। शादी का वादा देकर शारीरिक शोषण करने के आरोपी को सजा के लिए 493क में संशोधन करके संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

महिलाओं के खिलाफ आदतन अपराधी को धारा 110 के तहत गैर जमानती अपराध और जुर्माने की सजा देने के साथ महिलाओं का पीछा करने का अपराध दूसरी बार साबित होने पर न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। बैठक में लिए गए फैसले के बारें में खुद वित्तमंत्री जयंत मलैया ने बताया लेकिन कुछ दिन पहले खबर थी कि मलैया और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने ही इस फैसले पर कानूनी सलाह लेने के लिए वक्त मांगा था। उनका कहना था यदि बिल में फांसी की सजा रखी जाती है तो इससे पीड़िता के परिवार की जान को खतरा हो सकता है लेकिन अब सभी तरह विचार-विमर्श करके ये बिल तैयार किया है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों एमपी में 19 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आयी थी। तब सरकार में बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा देनी की बात उठी थी और वो कानून बनाकर विधेयक को मंजूरी के लिए भारत सरकार को भेजेंने की बात कही गई थी।

इस तरह की पहल अगर हर राज्य में की जाए तो महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में कमी आएगी और दोषियों में कानून का डर पैदा होगा जोकि बढ़ती घटनाओं और कमजोर होते कानून की वजह से देखने को नहीं मिल रहा। उम्मीद है कि इस प्रक्रिया को केवल कागजों में लपटेकर नहीं रखा जाएगा और हर पीड़िता को इसका इंसाफ मिलेगा।

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