निजीकरण/ ठेका प्रथा के विरोध मे बिजली कर्मचारियो का आंदोलन प्रारम्भ

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हनुमानगढ़। मंगलवार को स्थानीय वृत कार्यालय में बिजली कर्मचारियो की संघर्ष समिति की निजीकरण / ठेका प्रथा के विरोध हेतु जनजागरण के लिए बैठक एवं सांकेत्तिक प्रदर्शन किया गया जिसमे जोधपुर से करणसिंह राजपुरोहित, रामप्रकाश चौधरी, भरत गुर्जर, लिखमाराम जाखड व यशपाल चौधरी उपरोक्त सभी संगठनो से मार्गदर्शन हेतु उपस्थित रहे तथा सभी ने अपने संबोधन में निजीकरण/ ठेकाप्रथा/ एमबीसी, फेन्चाईजी, 33/11 केवी सब स्टेशन के ठेके , एफआरटी , डाटा आपरेटर, ऑडिट कार्य, बिल वितरण इत्यादि को दिये जा रहे ठेके का पुरजोर विरोध किया तथा बताया कि राजस्थान के सभी डिस्कॉमो का मासिक वेतन मात्र 45 करोड़ रूपय है जबकि बडे-बड़े ठेकेदारो को लगभग 800 करोड मासिक का भुगतान करते हुए सभी बिजली निगमो को घाटे की ओर धकेला जा रहा है जिसका असर कर्मचारियों के साथ-साथ आम उपभोक्ताओं को मंहगी बिजली मिलने के रूप मे सुनिश्चित है। भारतवर्ष मे विधुत विधेयक के विरोध मे किसान भी लंबे समय से आंदोलनरत है जिसका भी संघर्ष समिति ने समर्थन किया।संघर्ष समिति के श्री कृष्ण तायल ने बताया कि हनुमानगढ़ जिला कुछ दिन पहले तक जिला मुख्यालय के अलावा बिना एफआरटी के उपभोक्ताओं को संतोषजनक सेवाएं प्रदान कर रहा था परन्तु सरकार की हठधर्मिता के कारण सभी उपखंण्डो का उपभोक्ता शिकायत निवारण तथा 11 केवी लाइनो का रखरखाव 27.43 लाख प्रतिमाह का ठेका तथा ट्रांसफार्मर बदलने का कार्य 10.80 लाख रूपये प्रतिमाह का ठेका दिया गया जबकि उपरोक्त कार्य उपभोक्ताओं की संतुष्टि के अनुसार किये जा रहे थे । अतः केवल हनुमानगढ़ जिले में इतना घाटा प्रति माह उपरोक्त ठेको से हो रहा है पुरे राजस्थान की कल्पना भयावह है। संघर्ष समिति ने यह भी मांग रखी कि हनुमानगढ़ जिले से एफआरटी हटाकर 35-35 हजार की दो गाडिया हर उपखंड में किराये पर उपलब्ध करवाये जाने पर सभी कर्मचारी पूर्व से भी बढिया सेवा देने को तत्पर है जिससे एक ओर निगम को बचत होगी यहीं उपभोक्तओ को सेवा कम समय मे उपलब्ध होगी। संघर्ष समिति ने अधीक्षण अभियन्ता हनुमानगढ़ से वार्ता की तथा कहा कि जहां एफआरटी की सेवा उपलब्ध है वहां किसी भी कर्मचारी को बिना लिखित आदेश के कार्य करने के लिए मजबुर नही किया जाये क्योकि कर्मचारियो द्वारा फाल्ट दुर करने से निगम की मैन पावर का दुरूपयोग व ठेकेदार को अनुचित भुगतान होता है।

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