संसद का मॉनसून सत्र शुरू, इन विधेयकों को पारित करने के लिए लगाना होगा सरकार को जोर

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नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है। इसमें तीन तलाक, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा, दुष्कर्म के दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान समेत कई अहम बिल पास हो सकते हैं। संसद में करीब 40 बिल लंबित हैं। इनमें कई ऐसे हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद लेकर आई थी। 12 बिल ऐसे हैं, जिन्हें सरकार ने लोकसभा में पारित करा लिया है, पर वे राज्यसभा में अटके हैं।

आपको बता दें संसद की कार्रवाई शुरू हो चुकी है और विपक्ष ने मॉब लिचिंग की घटनाओं पर सरकार को घेर लिया है।मॉब लिंचिंग को लेकर लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, सांसदों ने लगाए नारे – ‘हमें न्‍याय चाहिए.. आपको बता दें मानसून सत्र से पहले मंगलवार को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मानसून सत्र को सार्थक बनाने के लिए विपक्ष से सहयोग मांगा। कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। सरकार चाहती है कि सभी दल संसद की कार्रवाई सुचारू रूप से चलने दें।

इन विधेयकों को भी सरकार पारित कराना चाहती है:
संसद में लोकपाल, भूमि अधिग्रहण, मेडिकल शिक्षा, व्हिसल ब्लोअर, ट्रांसजेंडर, भगोड़ा आर्थिक अपराधी, दंत चिकित्सक, जन प्रतिनिधि, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट, नदी विवाद आदि अहम बिल लंबित हैं। हालांकि सरकार के लिए राज्यसभा में लंबित विधेयकों को पारित कराना चुनौती है।

तीन तलाक: 2019 चुनावी एजेंडे में, इसलिए कानून बनाना मकसद
तीन तलाक को अवैध ठहराने वाले मुस्लिम महिला संरक्षण अधिनियम बिल सरकार के टॉप एजेंडे में है। यह बिल लोकसभा से पारित हो चुका है, पर राज्यसभा में अटका पड़ा है। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में राजनीति भी हो रही है। मोदी पहले ही कह चुके हैं कि सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, पर कांग्रेस साथ देने को तैयार नहीं है जैसा कि शाहबानो से जुड़ा कांग्रेस का इतिहास है।

नागरिकता बिल: नॉर्थ-ईस्ट में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा
नागरिकता से जुड़ा संशोधन बिल भी सरकार की टॉप लिस्ट में है। इसमें अवैध रूप से शरणार्थी बनकर भारत में रह रहे लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई है। इनमें कई लोग पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आकर भारत में शरणार्थी के तौर पर बसे हैं, जबकि बांग्लादेशी शरणार्थियों का मुद्दा भी अहम है। नॉर्थ-ईस्ट में ये सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है।

ओबीसी बिल: देश में सबसे बड़ा वोट बैंक इसी तबके से आता है
पिछड़ा वर्ग आयोग बिल यदि पास हो गया तो राज्य सरकारें स्टेट ओबीसी सूची में किसी भी जाति को शामिल नहीं कर सकंेगी। ओबीसी कैटेगराइजेशन का पावर भी राज्यों के हाथ में नहीं रहेगा। सभी शक्तियां संसद के पास होंगी। सिर्फ संसद ही ऐसे मामलों पर अंतिम निर्णय करेगी। ये बिल पिछले साल लोकसभा से पास होकर राज्यसभा पहुंचा था, लेकिन एनडीए के वहां बहुमत नहीं होने के चलते पास नहीं हो सका था।

दुष्कर्म दोषियों को सजा
सरकार के एजेंडे में आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2018 भी शामिल है। इसमें 12 साल से कम आयु की लड़कियों से बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

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