मोदी राज में हुआ करोड़ों का फर्जीवाड़ा, कैग रिपोर्ट 2023 में हुए ये 4 बड़े घोटाले उजागर

0
1785

नई दिल्ली: मानसून सत्र 2023 के दौरान नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) (CAG Report 2023) की रिपोर्ट में कई फर्जीवाड़ों का खुलासा हुआ है। सीएजी ने इसपर गंभीर आपत्ति जताते हुए वित्तीय अनियमितता की आशंका जताई है। चलिए आपको बताते हैं वे चार बड़े फर्जीवाड़ें जो मोदी राज में हुए…

आयुष्मान फर्जीवाड़ा-
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) में कई फर्जीवाड़े हुए हैं। जिनमें बेनिफिशियरी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (BIS) के जरिए सबसे बड़ी गड़बड़ी यह सामने आई है कि योजना के लगभग 7.50 लाख लाभार्थियों का मोबाइल नंबर एक ही था। CAG की वेबसाइट पर मौजूद इस ऑडिट रिपोर्ट में नंबरों का जिक्र भी किया गया है। इसके मुताबिक 7 लाख 49 हजार 820 लाभार्थी BIS डेटा बेस में एक ही नंबर 9999999999 से जुड़े हुए थे। इनके अलावा 1.39 लाख लाभार्थी 8888888888 नंबर से जुड़े थे और 96,046 लोग 9000000000 नंबर से जुड़े हुए हैं।

CAG ने अपनी रिपोर्ट 8 अगस्त को लोकसभा में पेश की, जिसमें सितंबर 2018 से मार्च 2021 तक के परफॉर्मेंस ऑडिट रिजल्ट शामिल किए गए हैं। CAG की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 43,197 घरों में परिवार का आकार 11 से 201 सदस्यों तक का था। एक घर में इतने सदस्यों का होना न केवल रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के दौरान वेरिफिकेशन में फर्जीवाड़े को दिखाता है, बल्कि इस बात की भी संभावना है कि लाभार्थी इस योजना में परिवार की परिभाषा स्पष्ट न होने का फायदा भी उठा रहे हैं।

अयोध्या फर्जीवाड़ा-
अयोध्या में स्वदेश दर्शन योजना के तहत हुए विकास कार्यों में 20 करोड़ का घोटाला सामने आया है। कैग ने जनवरी 2015 से मार्च 2022 के बीच स्वदेश दर्शन योजना का ऑडिट किया था, जिसकी रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई और कहा गया कि छह राज्यों की छह परियोजनाओं में ठेकेदारों को 19.73 करोड रुपये का गलत तरीके से लाभ दिया गया। अयोध्या स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट का हिस्सा है। इसके लिए 27 सितंबर 2017 को 127 करोड़ 21 लाख का बजट मंजूर हुआ था। इसमें से 115 करोड़ रुपये अभी तक जारी किए जा चुके हैं।

अयोध्या में परियोजना संबंधित अनुचित लाभों पर कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि काम कराने वाली एजेंसी यानी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के ठेकेदार को अनुबंध मूल्य 62.17 करोड़ रुपये के पांच प्रतिशत की दर पर प्रदर्शन गारंटी जमा करनी थी, जो करीब 3.11 करोड़ होती है। लेकिन ठेकेदार ने केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा किए। यही नहीं योजनाओं की मॉनीटरिंग पर भी सवाल खड़े किए गए जिससे प्रशासनिक लापरवाही साफ उजागर होती है।

हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम फर्जीवाड़ा-
कैग 2023 की रिपोर्ट से पता चला है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र को गलत जानकारी दी। साल 2008 में जिला सोलन के क्यारीघाट के लिए एक करोड़ 60 लाख रुपए सैंक्शन हुई। इसमें एक करोड़ 28 लाख रुपए हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम को रिलीज की गई। यह धन राशि जमीन की उपलब्धता न होने की वजह से खर्च नहीं सकी। बावजूद इसके सरकार ने जनवरी, 2013 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को गलत यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा कर दिए।

साल 2017 के मार्च महीने में जब स्वदेश दर्शन स्कीम आई, तब क्यारीघाट में ही कनवेक्शन सेंटर के लिए 25 करोड़ रुपए की राशि आई। इसमें पता चला कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम ने एक करोड़ 28 लाख रुपए की राशि, जो जिला सोलन के समग्र विकास प्लान के तहत मिली थी। उसे क्यारीघाट प्रोजेक्ट में एडिशनल फंड के तौर पर ट्रांसफर कर दिया गया। कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र को पहले गलत जानकारी दी और गुमराह करने की कोशिश की।

द्वारका एक्सप्रेस-वे फर्जीवाड़ा-
CAG ने द्वारका एक्सप्रेसवे के इस प्रोजेक्ट की 2017 से 2021 तक की रिपोर्ट का ऑडिट किया है। द्वारका एक्सप्रेसवे  के साथ-साथ दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे पर भी सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा प्रोजेक्ट CCEA की ओर से अप्रूव्ड प्रोजेक्ट की लिस्ट में ही नहीं था और NHAI ने अपने स्तर पर 33 हजार करोड़ रुपये खर्च कर लिए। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतमाला परियोजना-1 के तहत लगभग 76,999 किलोमीटर की सड़कें बनाई जा रही है। इसमें से 70,950 किलोमीटर सड़क NHAI बना रहा है।

द्वारका एक्सप्रेसवे की CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सड़क की लागत कई गुना ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, जो लागत प्रति किलोमीटर 18 करोड़ रुपये होनी थी, वह 250 करोड़ रुपये तक खर्च हुए हैं। सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि कैबिनेट ने इस सड़क के लिए प्रति किलोमीटर का बजट 18.20 करोड़ रुपये प्रस्तावित था लेकिन इसके लिए प्रति किलोमीटर 251 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया। अब इस लागत में इतना ज्यादा अंतर आने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

CAG क्या है, कैसे काम करता है?
संविधान में सरकारी खर्च की पड़ताल के लिए एक सरकारी एजेंसी बनाने का प्रावधान है। अनुच्छेद 148 के मुताबिक इस एजेंसी के प्रमुख की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा। प्रमुख को उसी तरह से हटाया जा सकता है, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के एक जज को।

संविधान के अनुच्छेद 149, 150 और 151 में कैग के कामकाज और शक्तियों के बारे में जिक्र है। कैग का काम सभी सरकारी संस्थाओं का ऑडिट करना है और उसकी रिपोर्ट संसद या विधानसभा के पटल पर रखना है। वर्तमान में कैग 2 तरह से ऑडिट करता है। 1. रेग्युलेरिटी ऑडिट और 2. परफॉर्मेंस ऑडिट।

रेग्युलेरिटी ऑडिट को कम्पलायंस ऑडिट भी कहते हैं। इसमें सभी सरकारी दफ्तरों के वित्तीय ब्यौरे का विश्लेषण किया जाता है. विश्लेषण में मुख्यत: यह देखा जाता है कि सभी नियम-कानून का पालन किया गया है या नहीं?

इसी तरह परफॉर्मेंस ऑडिट में कैग यह पता लगाया जाता है कि क्या सरकारी योजना शुरू करने का जो मकसद था, उसे कम खर्च पर सही तरीके से किया गया है या नहीं? इस दौरान योजनाओं का बिंदुवार विश्लेषण किया जाता है।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।