आत्मा का अंतिम स्टेशन मोक्ष है – साध्वी आनन्दप्रभा

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संवाददाता भीलवाड़ा। जिंदगी का एक सत्य है मौत और आत्मा का अंतिम स्टेशन मोक्ष है। चरित्र आत्माओ के माध्यम से जिनवाणी को सुनकर हम जीवन मे उतारे, भगवान महावीर ने हर शंका का समाधान किया है। अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए जो जीवन मिला है उसमें ज्ञान, साधना, व्रत करके अपनी आत्मा का कल्याण करे उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी आनन्दप्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि पर्युषण पर्व आने वाले है हम अपने ह्रदय के द्वार खोले, तो चातुर्मास चमत्कार घटित कर सकता है। सत्य का सूरज और आनन्द का अमृत हमारे घर – आँगन में उतर सकता है। चातुर्मास के चार महीनों में से एक महीना निकल चुका है अब अपने पास तीन माह बचे है इस बचे हुए स्वर्णिम अवसर का समुचित उपयोग करना ही हर समझदार आदमी की बुद्धिमानी है। यह जीवन का आध्यत्मिक प्रयोग और शिविर है। मनुष्य की चेतना ,जो हर पल बाहर ही भटकती रहती है, उसकी भीतर लौट आने की प्रक्रिया का नाम ही चातुर्मास है। साध्वी चन्दनबाला ने कहा कि मन, वचन, काया से किसी भी आत्मा को सजा नही देना, ठेस नही पहुचाना ही अहिंसा है। मोक्ष में जाने की पहली सीढ़ी दया है। जिसमे दया और विवेक है तो वह आसानी से मोक्ष में जा सकता है। जैन धर्म के 32 आगमो का सार भी यही है कि जिसने अपराध नही किया हो उसको कभी दुःख या कष्ट नही देना चाहिए। बाहर से आये भक्तो का संघ के पदाधिकारियों ने शब्दो से स्वागत किया।

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