मोबाइल विद्यार्थी जीवन को बर्बाद करने वाला हैंड ग्रेनेड- परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह

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हनुमानगढ़. अपने अदम्य शौर्य और असाधारण वीरता से देश में अब तक सबसे कम महज 19 बरस की आयु में सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाजे गए योगेंद्र सिंह यादव का मानना है कि समय के साथ तकनीक जरूरी तो है, लेकिन उसका दुरुपयोग खतरनाक भी हो सकता है। उन्होंने ये बात बहुत ही सहज तौर पर मोबाइल के दुरुपयोग या उससे भटकाव के संदर्भ में भी समझाई जहाँ विद्यार्थियों के लिए मोबाइल जीवन को बर्बाद करने वाला हैंड ग्रेनेड भी साबित हो सकता है। वे आज गुड डे डिफेंस स्कूल में नव निर्मित आईटी लैब के उद्घाटन के अवसर पर स्टूडेंट्स से संवाद कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पेरेंट्स को भी समझना चाहिए कि वे अपनी अधूरी इच्छाओं को अपने बच्चों पर न थोपें, क्योंकि इससे उन पर अनावश्यक दबाव बन रहा है। श्री यादव ने जीवन में तीन ‘पी’ के महत्व को भी बताया जिसमें परपज, पैशन और परफॉरमेंस सम्मिलित है साथ ही चार प्रकार की शक्तियां भी बताई जिसमें शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक शामिल हैं और जिसमें हम सभी अपने प्रयासों से सकारात्मक अभिवृद्धि कर सकते हैं।

उन्होंने अपने फ़ौज के सफर और स्टूडेंट्स की जिज्ञासा को देखते हुए कारगिल की लड़ाई की कहानी को साझा किया और बताया कि फ़ौज में जाने की प्रेरणा उनको पिता से मिली जिन्होंने 1965 और 1971 दोनों मौकों पर मातृभूमि की रक्षा के लिए। वे जब कक्षा 6 में पढ़ते थे तो दिल में एक ही जज्बा था कि फौज में भर्ती होना है और देश के लिए दुश्मनों से लड़ना है। बचपन से ही वीर अब्दुल हमीद के किस्से सुनता हुआ बड़ा हुआ था जिसने बहुत छोटी उम्र में ही देश का गौरव बढ़ाया था। इसलिए 16 बरस 5 महीने की उम्र में फ़ौज में चला गया। इस विशेष संवाद-सत्र के अंत में उन्होंने अपनी बेहतरीन स्वरचित पंक्तियों में एक सैनिक के जज्बातों को बयां किया- ये सांसों के तराने और हिंद का नवगान गायेगा, हमारा शौर्य ध्वज लेकर, वो चंद्रयान गायेगा, हमारे प्राण माता भारती के पग समर्पित हैं, हमारे लहू का हर कतरा हिन्दुस्तान गायेगा।

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