मिशन कश्मीर को पूरा करने के पीछे है इन 12 किरदारों का अहम रोल

70 साल बाद जम्मू कश्मीर को अपनी आजादी मिली है। वहीं पूरी दुनिया का कहना है कि मोदी सरकार के इस साहसी कदम ने पोकरण की याद दिला दी।

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स्पेशल स्टोरी डेस्क: जम्मू कश्मीर पर पिछले एक सप्ताह से चल रही असमंजस की स्थिति से पर्दा हटाते हुए सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में तीखी बहस के बाद धारा 370 और धारा 35(ए) को हटाने की घोषणा करते हुए जम्मू कश्मीर पुर्नगठन विधेयक को पास करवा लिया।

आज मंगलवार को ये बिल लोकसभा में पास करवाया जाएगा। इस बिल के पास होते ही जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा समाप्त कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाएगा। इस फैसले से देशभर में खुशी की लहर है वहीं हैरानी भी कि जितनी जटिल बताई जा रही धारा 370 को मोदी सरकार ने कितनी आसानी से समाप्त कर दिया।

70 साल बाद जम्मू कश्मीर को अपनी आजादी मिली है। वहीं पूरी दुनिया का कहना है कि मोदी सरकार के इस साहसी कदम ने पोकरण की याद दिला दी। आपको बता दें धारा 370 को हटाने के लिए मोदी सरकार पिछले काफी समय से इस पर रणनीति तैयार कर रही थी। आज आपको हम यहां ऐसे ही लोगों की भूमिका बताने जा रहे हैं जिन्होंने नया कश्मीर बनाने के लिए काफी लंबे समय तक प्रयास किए हैं।

रॉ प्रमुख सामंत गोयल-
इस अभियान की अहम कड़ी रहे 1990 के दशक में पंजाब में जब चरमपंथ चरम पर था। उस समय गोयल ने उसे नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका अदा की थी। उनका अनुभव इस पूरे मिशन में काम आया।

आईबी प्रमुख अरविंद सिंह-
इंटेलीजेंस ब्यूरो प्रमुख इससे पहले इसी विभाग की कश्मीर डेस्क पर कार्यरत थे। उन्हें जम्मू कश्मीर के एक-एक इलाके की पूरी जानकारी है। उन्होंने सरकार के साथ हर खुफिया जानकारियां को साझा किया।

केंद्रीय गृहसचिव राजीव गाबा-
लो प्रोफाइल रहते हुए मिशन कश्मीर में अपनी अहम भूमिका निभायी है। राजीव गाबा ने केंद्रीय स्तर पर सभी रणनीतिकारों से समन्वय किया। कश्मीर में हर प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए रणनीति तैयार की। सभी राज्यों को अलर्ट रहने का प्रबंध कराया। राजीव ने किस जगह कैसी सैन्यसुरक्षा होनी चाहिए, आपात स्थिति से निपटने की क्या रणनीति होनी चाहिए ये सब राजीव गाबा के मार्गदर्शन में हुआ।

लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ढिल्लन-
सीमा पर ताबड़तोड़ गोलाबारी करके आतंकी अड्डों का पहले ही सफाया करा दिया। दक्षिण कश्मीर में आतंकियों के पैर उछाड़े पाकिस्तानी बैट टीम और घुसपैठियों को मार गिराया। एलओसी पर पूरी तरह से सतर्कता बनाई रखी। पाकिस्तान को समझने का मौका तक नहीं दिया कि आखिर भारत में चल क्या रहा है। पाकिस्तान के वित्तमंत्री तो इसे अफगानिस्तान शांति वार्ता से जोड़कर देखने लगे।

भाजपा महासचिव राम माधव-
आरएसएस के पुराने स्वयंसेवक है। माधव ने जम्मू कश्मीर के कई दौरे किए और सरकार को बताया कि राज्य में 370 पर क्या कुछ योजना और रणनीति बनाई जा सकती है। पिछली विधानसभा चुनाव में भाजपा और पीडीपी की मजबूत कड़ी राम माधव को ही माना जाता है। हालांकि अब ये गठबंधन रहा नहीं। जम्मू कश्मीर में भाजपा की नींव कितनी गहरी है इसकी पल-पल की जानकारी माधव अमित शाह तक पहुंचाते रहे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह-
जवानों को प्रोत्साहित करने का काम राजनाथ ने किया। समय-समय पर जवानों से मिलना। रणनीति बनाना, जवानों को हर वक्त और उचित और करारा जवाब देने के लिए प्रेरित करना। कूटनीति रूप से पाकिस्तान को उलछाए रखना

विदेशमंत्री एस.जयशंकर-
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी बयान के बाद विदेशी मोर्चे पर सक्रिय रहे। अमरीकी राष्ट्रपति को न केवल साफ जवाब दिया बल्कि अमरीका ने खुद राष्ट्रपति के बयान का खंडन करना पड़ा। आसियान बैठक और अमरीका से वार्ता करते हुए उलछाए रखा। हर मोर्चे पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।

अजीत डोभाल
अमरीका, अफगानिस्तान और पाकिस्तान पर नजर रखते हुए उचिय समय पर कार्रवाई के लिए रणनीति तैयार की। करीबी अधिकारियों के माध्यम से कश्मीर पर रिपोर्ट लेते रहे। कार्रवाई से पहले जम्मू कश्मीर पहुंतकर जायजा लिया। रणनीति तय की और तुरंत ही कार्रवाई शुरू कर दी।

मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम
नक्सलियों पर लगाम लगाने वाले बीवीआर सुब्पमण्यम को कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए उतारा गया। पूर्ण विश्वास के साथ जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ रणनीति तैयार की। सैन्य अलर्ट के साथ सभी सुरक्षा व्यवस्था को बनाएं रखने का काम किया। सबसे बड़ी बात इस साल की अमरनाथ यात्रा को बिना किसी डर के सफल किया। हालांकि हाल के दिनों में अमरनाथ यात्रियों को उनकी सुरक्षा को देखते हुए लौटने को कहा।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक
राज्य के विकास पर फोकस किया। आम जनता से सीधा संवाद किया। पंचायतों को मजबूत किया। राज्य और केंद्र की योजनाओं को सीधे जनता तक पहुंचाने का काम किया। कई घोटालों पर कार्रवाई की। केंद्र सरकार को समय-समय पर घाटी की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार कर दी। कश्मीरी नेताओं को साफ और कड़ा जवाब देने में भी इनकी भूमिका रही।

अमित शाह
गृहमंत्री का पद संभालते ही अमित शाह ने कई तरह की बैठके की। कश्मीर की स्थिति को समझने की कोशिश की। ईडी, सीबीआई, एनआईए की घाटी में कार्रवाई तेज की। पाकिस्तान से सीमा व्यापार पूरी तरह से बंद किया। अलगाववादियों की कमर तोड़ी। कई एनजीओ को बंद करवाया। विदेशी फंडिंग रोकी। धारा 370 पर इतना विश्वास था कि सोमवार में राज्यसभा पहुंचते ही मीडिया से कहा मुस्कराइए बस।

नरेन्द्र मोदी
बिल की घोषणा होते ही पीएम मोदी की एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें वह धारा 370 को खत्म करने का विरोध कर रहे हैं। पुलवामा हमले के बाद से ही मोदी ने अपना रूख अक्रामक रखा और साफ कह डाला था कि हमारे जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। अब देखिए सत्ता में दुबारा आते ही अपने सबसे करीबी और रणनीतिकार अमित शाह को गृहमंत्री बनाया और मिशन कश्मीर को शुरू किया।

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