हनुमानगढ़। राजस्थान मिड-डे-मिल वर्कर्स यूनियन (सीटू) ने राज्य में कार्यरत मिड-डे-मिल वर्कर्स की विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। यूनियन ने सरकार से मजदूरी, मानदेय, सेवा स्थायित्व और अन्य सुविधाओं को लेकर जल्द से जल्द समाधान की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया कि मिड-डे-मिल वर्कर्स स्कूलों में बच्चों को गर्म और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने का कार्य पूरी ईमानदारी से करते हैं, लेकिन उनकी स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। उन्हें न तो नियमित कर्मचारी का दर्जा दिया जाता है और न ही न्यूनतम वेतन।
यूनियन ने बताया कि वर्तमान में उन्हें मात्र ₹2003/- प्रति माह मिलते हैं, जो समय पर भी नहीं दिया जाता। कई मजदूरों को पिछले 6 महीनों से मानदेय नहीं मिला है।
मुख्य मांगो में 6 महीने से बकाया मानदेय का तुरंत भुगतान किया जाए और हर महीने की 10 तारीख तक भुगतान सुनिश्चित किया जाए।,सरकार द्वारा शुरू की गई दूध योजना की राशि ₹500 प्रति स्कूल तत्काल दी जाए और जिन जिलों में यह भुगतान नहीं हुआ, वहां अविलंब किया जाए।, मिड-डे-मिल वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और ₹26,000 प्रति माह वेतन दिया जाए।, वर्कर्स को साबुन, तौलिया और साल में दो जोड़ी यूनिफॉर्म उपलब्ध कराई जाए।, प्रत्येक स्कूल में दो वर्कर्स नियुक्त किए जाएं और छंटनी किए गए वर्कर्स को पुनः बहाल किया जाए।, 60 साल की उम्र पर ₹5 लाख की एकमुश्त राशि और ₹10,000 मासिक पेंशन दी जाए।, कार्य के दौरान दुर्घटना पर ₹2 लाख और मृत्यु पर ₹10 लाख का मुआवजा दिया जाए।, 10 माह के बजाय पूरे 12 महीने का मानदेय दिया जाए और अवकाश पर वेतन कटौती बंद की जाए।,मिड-डे-मिल वर्कर्स से सफाई, टॉयलेट साफ करना, स्टाफ के लिए अलग से खाना बनवाना जैसे काम न कराए जाएं।,उन्हें स्थायी कर्मचारी बनाकर ईएसआई और पीएफ योजना के तहत लाया जाए।
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