संवाददाता भीलवाड़ा। धर्मसभा में आते है तो यह सोचकर आना चाहिए कि मुझे कुछ नही आता है ,मुझे कुछ सीखना है ज्ञान अर्जित करना है।हमे खाली घड़े की तरह आना है,अंहकार नही पालना है। जहाँ पर बोलने की जरूरत हो वही बोले अनावश्यक कही भी नही बोले। जिनवाणी सुनकर हमारी सोच व विचार नही बदलेंगे, जीवन के आचरण और व्यवहार में परिवर्तन नही लायेंगे तो जीवन का कल्याण होने वाला नही है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या बाल साध्वी विनितरूप प्रज्ञा ने धर्मसभा में व्यक्त किये। कल 12 नवम्बर शुक्रवार को गुरुणी माता झणकार कंवर का स्मृति दिवस सामूहिक एकासन व स्वाध्याय के रूप में मनाया जायेगा। साध्वी ने कहा कि हमारे भाव सदैव शुद्ध रखे , मन मे अगर शंका पालेंगे तो जीवन का उद्धार होने वाला नही है। हम लोग जानते सभी है पर मानते नही है। हम उनके शरण मे जावे जो हमारी नैय्या को पार लगा सके।शरण मे जाना हो तो अपनी आत्मा की शरण में जाओ। साध्वी चंदनबाला ने कहा कि 18 शास्त्रों का सार बड़ी साधु वंदना है जिसके स्मरण करने से आदि, वादि , उपादि सब दूर हो जाते है । उत्तराध्ययन सूत्र के 14 वे अध्ययन में अनादिमुनि , राजा श्रेणिक के जीवन मे आये परिवर्तन पर प्रकाश डाला। संघ अध्यक्ष चन्द्र सिंह जी चौधरी की तरफ से कल की भोजन प्रसादी की व्यवस्था रखी गई है। बदनोर, भीम सहित आस पास के क्षेत्रो से आये संघ का शब्दो से स्वागत किया।
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