हनुमानगढ़। अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी संघ हनुमानगढ़ द्वारा रविवार को विधायक चौधरी विनोद कुमार को कर्मचारियों की विभिनन समस्याओ के संबंध में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ जो कि राज्य के अधिकांश कर्मचारियों का एक मात्र प्रतिनिधि संगठन है जिसके साथ पूर्ववर्ती सरकारों के समय कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं के सम्बन्ध में समय-समय पर लिखित एवं सैद्धान्तिक समझोते होते रहे है परन्तु वर्तमान राज्य सरकार ने ढेड वर्ष पूर्ण होने के उपरान्त भी अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ से कर्मचारियों के लम्बित विषयों पर संवाद कायम नहीं किया है जिससे राज्य के कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों से पूर्व में हुये समझौतो/सहमतियों के प्रति गंभीर नहीं है जिससे कर्मचारियों में सरकार के प्रति विश्वास में कमी आई है। उल्लेखनीय है कि अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ का मांग पत्र सरकार के सम्मुख निराकरण हेतु लम्बित है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा द्विपक्षीय वार्ता के अभाव में एक तरफा कार्यवाही करने से कर्मचारियों के सामने ज्वलंत समस्याऐं उत्पन्न हुई है जिनका निराकरण शीघ्र किया जाना वांछित है । मुख्य मांगो में राज्य में कोविड-19 के नाम पर राज्य कर्मचारियों, बोर्ड, निगम, स्वायत्तशाषी संस्थाओं, पंचायतीराज एवं सहकारी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन से माह मार्च 2020 में स्थगित किये गये वेतन एवं अगस्त माह से कर्मचारियों के वेतन से एक दिवस व दो दिवस के निरन्तर वेतन कटौती के आदेश वापिस लिये जाने एवं उपार्जित अवकाश के नकद भुगतान एवं दीपावली पूर्व बोनस के भुगतान किये जावें, अधिनस्थ संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन से वसूली की जा रही है एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों द्वारा कर्मचारियों के रि-फिवशेसन के आदेश निकाले गये है जो सवर्था अनुचित है एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के विरूद्ध है, विगत सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें एवं पूर्व से चली आ रही वेतन विसंगतियों के निराकरण हेतु सामंत कमेटी का गठन किया, जबकी सामंत कमेटी के गठन का महासंघ ने पुरजोर विरोध किया था। क्योंकि महासंघ का मत था कि वेतन विसंगतियों का निराकरण महासंघ एवं राज्य सरकार के मध्य द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से किया जाना उचित होता। वर्तमान परिदृश्य में यह है कि सामंत कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को माह जुलाई 2019 में ही प्रस्तुत कर दी है परन्तु राज्य सरकार के द्वारा ना तो रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है ना ही क्रियान्वयन, कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश (हडताल) के अधिकार को बहाल किया जाये, सातवें वेतन आयोग से वंचितों को सातवें वेतन आयोग देने, कर्मचारी महासंघ के साथ हुए समझौतो/सहमतियों की क्रियान्विति के सम्बन्ध मे, अस्थाई कर्मचारियों को नियमित किया जावें सहित अन्य मांगो के निराकरण हेतु राज्य सरकार के सम्मुख लम्बित है। इसके सम्बन्ध में प्रमुख शासन सचिव, ( कार्मिक विभाग) राजस्थान सरकार द्वारा विभागों के मंत्रीगणों एवं विभागाध्यक्षों को कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता आयोजित कर मांगो के निराकण हेतु निर्देश जारी किये है परन्तु खेद का विषय है कि राज्य सरकार के परिपत्र की पालना नहीं की गई है। इस मौके पर कानूनगो संघ के जिलाध्यक्ष चंद्रभान ज्याणी, कृषि पर्यवेक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जगदीश दूधवाल, पटवारी सुभाष जांगिड़, अमर सिंह दहिया, गौरीशंकर कृषि पर्यवेक्षक , पवन शर्मा कृषि पर्यवेक्षक, परमान बेनीवाल कृषि पर्यवेक्षक, विक्रम शर्मा पटवारी, परमानंद भूअभिलेख निरीक्षक, तरसेम सिंह बराड़ भूअभिलेख निरीक्षक ,भरत सिंह भूअभिलेख निरीक्षक आदि कर्मचारी नेता शामिल हुए।
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