संवाददाता भीलवाड़ा। जब व्यक्ति तप और जप दोनो करता है तब उसकी साधना होती है। कोई दैवीय शक्ति प्राप्त करनी है तो उसके लिए मन से भक्ति करनी पड़ेगी। व्यक्ति में जब तक संयम, विवेक और मर्यादा नही आयेगी तब तक उसका विकास होने वाला नही है।संत श्रावको से जो आहार, पानी आदि लेते है तो उसके बदले आपको कई गुना देते है। पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस को बड़ा कल्प के रूप में जैन समाज मनाता है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि कल्प सूत्र के अनुसार आज भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव मनाते है। हमारे यहाँ पर भी कन्यामण्डल ने एक लघु नाटिका भगवान महावीर के जन्मोत्सव पर तैयार की है। भगवान महावीर की जीवनी पर अनेक वैज्ञानिकों ने शोध किया है। जैन धर्म पूरा विज्ञान पर आधारित धर्म है। साध्वी ने एक महत्वपूर्ण बात की कि धार्मिक स्थल को पर्यटक स्थल मत बनाओ, वहा पर जाकर शुद्ध भाव से तप और जाप करो एवं प्रभु की भक्ति करो। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि हमारी कथनी और करनी एक होनी चाहिए। दान देने के सदैव मन मे भाव रखो आज जो गौ शाला, कबूतर शाला, धार्मिक पाठशाला आदि जो चल रहे है उनमें आप सभी अधिक से अधिक देने के भाव रखे। दान देने से आपके घर परिवार में कोई कमी होने वाली नही है उससे कई गुना आपको किसी ना किसी रूप में मिल ही जायेगा। दान आडम्बर रहित हो जहा तक संभव हो दान गुप्त होना चाहिए।जितना पैसा परमार्थ कार्य मे खर्च करोगे उतना आपको पुण्य मिलेगा। साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने अंतगढ़ दशांग का वाचन करते हुए कहा कि एक नवकार महामन्त्र की माला भी अगर शुद्ध भाव से कोई गिन लेता है तो उसको जन्म मरण से मुक्ति मिल सकती है और वो मोक्ष में जा सकता है। पर्युषण पर्व के दौरान कन्यामण्डल ने बहुत ही रोचक भगवान महावीर के जन्मकल्याणक महोत्सव की प्रस्तुति दी। दिव्यम कोठारी, बदनोर से हीरा लाल गोखरु ने अपने विचार रखे। पर्यूषण पर्व में धर्म आराधना एवं तपस्या करने वालो की होड़ मची हुई है। बाहर से आने वाले श्री संघो का संघ अध्यक्ष चन्द्र सिंह चौधरी, मंत्री देवी लाल पीपाड़ा ने शब्दो से स्वागत किया।
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