महाराष्ट्र के मराठा नहीं रुकेंगे…तेज हुई हिंसक गतिविधियां, 13 दिनों में 25 आत्महत्याएं, जानें पूरा मामला?

मराठा आरक्षण लागू करने के लिए दी गई समय सीमा 24 अक्तूबर (गुरुवार) को खत्म हो गई। लिहाजा अगले ही दिन से जरांगे ने जालना के अपने पैतृक अंतरवाली सराती गांव में दूसरी बार भूख हड़ताल शुरू कर दी। जरांगे ने आरोप लगाया कि सरकार को 40 दिन का समय दिया गया था लेकिन उसने आरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। 

0
191

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण (Maratha Protest) की मांग को लेकर पिछले दिनों में हिसंक गतिविधियां तेज हो गई है। बीड में हुई हिंसक वारदातों के बाद अब विरोध की आग मुंबई तक पहुंच गई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 13 दिनों में अब तक 25 लोग सुसाइड कर चुके हैं। इस साल सितंबर में शुरू हुआ आंदोलन 8 से ज्यादा जिलों में हिंसक हो गया है। यह संख्या 1990 के मंडल आंदोलन के दौरान की गईं आत्महत्याओं के आंकड़े के बाद सबसे ज्यादा है।

जानकारी मुताबिक, मुंबई के कोलाबा इलाके में बुधवार सुबह विधायकों के सरकारी आवास के सामने दो अज्ञात लोगों ने महाराष्ट्र के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर हसन मुश्रिफ के काफिले की गाड़ी में तोड़फोड़ की। 3 लोगों को गिरफ्तारी हुई है। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है ताकि इसका समाधान निकाला जा सके। कहा जा रहा है कि आज फैसले का दिन है।

मराठा आरक्षण का मुद्दा फिर क्यों उठा? 
आंदोलन की अगुवाई करने वाले मनोज जरांगे पाटिल मूलत: बीड जिले के रहने वाले हैं। सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाने वाले जरांगे शिवबा नामक संगठन के संस्थापक हैं। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग दशकों पुरानी है लेकिन इस साल अगस्त में यह मुद्दा दोबारा चर्चा में आया।

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र के बीड में हिंसक हुआ मराठा आरक्षण, इंटरनेट सेवा बंद, धारा 144 लगी

दरअसल, मराठा नेता मनोज जरांगे के नेतृत्व में लोगों ने 29 अगस्त से जालना जिले में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। इसके साथ ही जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र की मांग उठाई।  मौजूदा सरकार ने मराठा समुदाय के कुछ लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला कर लिया है। मंगलवार को शिंदे सरकार 11 हजार कुनबी सर्टिफिकेट दे सकती है। हालांकि OBC समुदाय ने इसका विरोध किया है।

कुनबी समुदाय ही क्यों?
कुनबी खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है। इसे महाराष्ट्र में OBC कैटेगरी में रखा गया है। इन्हें सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है। दावा है कि सितंबर 1948 तक निजाम का शासन खत्म होने तक मराठाओं को कुनबी माना जाता था और ये OBC थे। इसलिए इन्हें कुनबी जाति का दर्जा देकर OBC में शामिल किया जाए। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मनोज जरांगे का कहना है कि जब तक मराठियों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि OBC समुदाय मराठाओं की इस मांग का विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि हम मराठाओं को आरक्षण देने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन हमारे हक में बंटवारा न किया जाए।

ये भी पढ़ें: 10% EWS आरक्षण पर ‘सुप्रीम’ फैसला, जानें किसे मिल सकता है EWS आरक्षण का फायदा और क्या होंगे इसके नियम?

पुलिस कार्रवाई से बिगड़ी बात
29 अगस्त को शुरू हुआ आंदोलन जालना में पुलिस लाठीचार्ज के बाद हिंसक हो गया। 1 सितंबर को जिले के सराटी गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। इसके साथ ही पुलिस ने घटना को लेकर कई लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए। पुलिस की कार्रवाई के चलते राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार भी बैकफुट पर आ गई। खुद राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने प्रदर्शनकारियों से माफी मांगी और कहा कि सरकार को पुलिस द्वारा बल प्रयोग पर खेद है।

ये भी पढ़ें: Karwa Chauth 2023: इन 8 खूबसूरत मैसेज से दें अपने जीवनसाथी को करवाचौथ की बधाई

सरकार की अनदेखी ने बिगाड़ा महाराष्ट्र का माहौल
जरांगे द्वारा सरकार के समझौते को ठुकराए जाने के बाद आगे के कदमों पर चर्चा के लिए 11 सितंबर को सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसके साथ ही सरकार ने मराठा समुदाय के सदस्यों को जाति प्रमाण पत्र देने की मांग को लेकर न्यायाधीश संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पैनल का गठन कर दिया। 14 सितंबर को मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने भूख हड़ताल वापस ले ली। सीएम शिंदे ने खुद धरना स्थल वाले अंतरवाली सरती गांव पहुंचकर जूस पिलाया। मनोज ने सरकार को मराठाओं को आरक्षण देने के लिए 40 दिन की समय सीमा दे दी।

मराठा आरक्षण लागू करने के लिए दी गई समय सीमा 24 अक्तूबर (गुरुवार) को खत्म हो गई। लिहाजा अगले ही दिन से जरांगे ने जालना के अपने पैतृक अंतरवाली सराती गांव में दूसरी बार भूख हड़ताल शुरू कर दी। जरांगे ने आरोप लगाया कि सरकार को 40 दिन का समय दिया गया था लेकिन उसने आरक्षण के लिए कुछ नहीं किया।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।