हनुमानगढ़। टाउन स्थित महात्मा गांधी राजकीय अस्पताल में हीमोफीलिया रोगियों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। जटिल अस्पताल प्रक्रिया और प्रशासनिक लापरवाही के चलते गंभीर रक्तस्राव, सूजन और असहनीय दर्द से पीड़ित रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इलाज में हो रही देरी हीमोफीलिया सोसायटी के संस्थापक एवं उपाध्यक्ष देवीलाल पारीक के अनुसार, यह रोग एक वंशानुगत बीमारी है, जिसमें मामूली चोट लगने पर भी रक्तस्राव लंबे समय तक जारी रहता है। इस स्थिति में तुरंत इलाज जरूरी होता है, लेकिन अस्पताल की लंबी और थकाने वाली प्रक्रिया के कारण रोगियों को कम से कम दो घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। रोगी को पहले पर्ची काउंटर पर लाइन में लगना पड़ता है, जो कम से कम एक घंटे में बनती है। इसके बाद भर्ती काउंटर लाइन और फिर ट्रॉमा सेंटर में जाना होता है। वहां से चिकित्सक परामर्श के बाद इंजेक्शन के लिए मानसिक विभाग भेजा जाता है।
इन सब प्रक्रियाओं के दौरान रोगी को पैदल आना-जाना पड़ता है, लेकिन अस्पताल प्रशासन व्हीलचेयर जैसी बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं करवा रहा है। पारीक ने बताया कि पहले ट्रॉमा सेंटर के पास भर्ती खिड़की पर डॉक्टर पर्ची और भर्ती फॉर्म एक ही जगह बनाते थे। डॉक्टर रोगी को देखकर तुरंत इंजेक्शन दे देते थे और पूरी प्रक्रिया मात्र 10 मिनट में पूरी हो जाती थी। लेकिन अब भर्ती प्रक्रिया को अलग-अलग खिड़कियों पर स्थानांतरित कर दिया गया है, जिससे इलाज मिलने में दो से तीन घंटे तक की देरी हो रही है। हीमोफीलिया सोसायटी ने जिला प्रशासन एवं अस्पताल प्रबंधन से मांग की है कि इस जटिल प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। रोगियों को लंबी लाइनों में खड़े रहने के बजाय एकल खिड़की प्रणाली और विशेष तत्काल चिकित्सक की व्यवस्था की जाए ताकि उन्हें तत्काल इलाज मिल सके। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से रोगियों को शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है। अस्पताल को अपने पुराने आदेशों को फिर से लागू कर, मरीजों को राहत प्रदान करनी चाहिए।
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