महाराष्ट्र: बिहार का चूहा घोटाला तो याद होगा ना लेकिन अब ऐसा कोई घोटाला नहीं हुआ है। बल्कि इससे बड़ा घोटाला सामने आया है। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम का महाराष्ट्र सरकार पर आरोप है कि, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में रोजाना 18,500 कप चाय की खपत होती है जिसपर बड़ी भारी मात्रा में खर्चा आ रहा है।
संजय निरुपम ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) का हवाला देते हुए कहा कि पिछले तीन साल में सीएमओ में चाय की खपत पर खर्च में भारी वृद्धि हुई है। आरटीआई के अनुसार, 2017-18 में सीएमओ में 3,34,64,904 रुपये की चाय पी गई। जबकि यह आंकड़ा वर्ष 2015-16 में 57,99,150 रुपये था।
उन्होंने कहा, चाय पर हुआ खर्च चौंकाने वाला है। सीएमओ में रोजाना 18,591 कप चाय की खपत है। यह कैसे संभव है? उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि, “सीएम किस प्रकार की चाय पीते हैं, क्योंकि मैंने सिर्फ ग्रीन टी, येलो टी और इसी तरह के कुछ नाम सुने हैं।
एक सप्ताह में मंत्रालय के 319,400 चूहों को मारने का दावा
निरुपम ने तंज कसते हुए कहा कि, लगता है सीएम और सीएमओ इतना बड़ा बिल बनाने के लिए कुछ बेहद खर्चीली गोल्डन टी का उपयोग करते हैं। विडंबना है कि महाराष्ट्र में रोज किसानों की मौत हो रही है लेकिन सीएमओ चाय पर करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।
निरुपम यह नहीं रुके। उन्होंने चूहा घोटाले पर भी सवाल किया उन्होंने कहा कि क्या मंत्रालय के चूहे चाय पीते हैं। उनका इशारा पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे के उस बयान की तरफ था जिसमें उन्होंने महज एक सप्ताह में मंत्रालय के 319,400 चूहों को मारने का दावा किया था। हालांकि, बाद में प्रदेश सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने मंत्रालय में चूहों को मारने के लिए 3,19,400 चूहा नाशक दवाओं के इस्तेमाल के बारे में कहा था।
सीएम ऑफिस ने यह दी सफाई
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम के आरोपों को गलत बताया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है कि निरुपम जिस खर्च का जिक्र कर रहे हैं। असल में वह सिर्फ मुख्यमंत्री सचिवालय का नहीं है बल्कि मंत्रालय, सह्याद्री अतिथिगृह, वर्षा निवासस्थान, नागपुर के रामगिरी और हैदराबाद हाउस का संयुक्त खर्च है।
इसके साथ यह दलील भी दी गई है कि मंत्रालय और मुख्यमंत्री सचिवालय आने वालों की संख्या में इन दिनों भारी बढ़ोतरी हुई है। इसमें देश-विदेश के शिष्ठमंडल, विभिन्न उद्योग समूहों के प्रतिनिधियों, अलग-अलग क्षेत्र के सम्मानित लोगों का समावेश है। इसके अलावा सरकारी बैठकों की संख्या भी बढ़ी है। इससे पहले विभागवार होने वाली बैठकों पर होने वाले चाय-पानी का खर्च संबंधित विभाग देता था, परंतु अब सभी बैठकों का खर्च मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा दिया जाता है।
सोशल मीडिया की राय-
इस खबर के मीडिया में आते ही सोशल मीडिया पर पीएम मोदी सहित भाजपा के चाय पर चुटकी ली जा रही है। सरकार पर तंज कसे जा रहे हैं।
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