Mahadev App Ban: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) नें महादेव ऐप सहित 22 अवैध सट्टेबाजी ऐप्स और वेबसाइटों को बैन करने के आदेश जारी किए हैं। यह कार्रवाई अवैध सट्टेबाजी ऐप सिंडिकेट के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई जांच के बाद ये आदेश जारी किया है।
सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के पास IT अधिनियम की धारा 69-ए के तहत वेबसाइट/ऐप को बंद करने की सिफारिश करने की पूरी शक्ति थी। हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया। सरकार पिछले डेढ़ सालों से इसकी जांच कर रही है।
22 अवैध ऐप्स-वेबसाइट्स किए गए बैन
MEITY ने ED के अनुरोध पर महादेव ऐप सहित 22 ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक कर दिया है। राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि “छत्तीसगढ़ सरकार के पास आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत वेबसाइट को बंद करने की सिफारिश करने की पूरी शक्ति थी। हमें ईडी से पहला और एकमात्र अनुरोध प्राप्त हुआ है, जिसके बाद इसे बैन कर दिया गया है।
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महादेव ऑनलाइन ऐप क्या है?
ईडी के अनुसार, महादेव ऑनलाइन ऐप पोकर और अन्य कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल और अन्य लाइव गेम्स में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध करता है। यहां तक कि भारत में विभिन्न चुनावों पर भी दांव लगाने का अवसर देता है। यह कई कार्ड गेम जैसे ‘तीन पत्ती’, पोकर, ‘ड्रैगन टाइगर’, वर्चुअल क्रिकेट गेम और भी बहुत कुछ खेलने की सुविधा प्रदान करता है।
Centre issues blocking orders against 22 ‘illegal’ betting apps, including Mahadev Book app
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— ANI Digital (@ani_digital) November 5, 2023
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क्यों जुड़े महादेव ऐप के तार छत्तीसगढ़ से?
छत्तीसगढ़ के भिलाई से आने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक एप के मेन प्रमोटर हैं। ये अपनी गतिविधियां दुबई से संचालित करते हैं। पहले मामले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस कर रही थी। अगस्त 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसकी जांच शुरू कर दी।
अवैध गतिविधियों के लिए प्रमोटरों और पैनल ऑपरेटरों द्वारा संदिग्ध लोगों के नाम पर बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले गए। ईडी के मुताबिक, सबसे ज्यादा बैंक खाते छत्तीसगढ़ में ही खुले। खिलाड़ियों और पैनल ऑपरेटरों की सहायता के लिए ‘एचओ’ द्वारा विदेशों से कई कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं। एजेंसी ने दावा किया कि भिलाई के युवा बड़ी संख्या में दुबई पहुंचे और बैक-एंड ऑपरेशन चलाना सीखने के बाद भारत वापस आकर अपने स्वयं के पैनल खोलने लगे।
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ईडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस का एएसआई चंद्र भूषण वर्मा राज्य में ग्राउंड पर मुख्य संपर्ककर्ता के रूप में काम कर रहा था। वह सतीश चंद्राकर नाम के एक व्यक्ति के साथ दुबई स्थित महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटरों से हवाला के जरिए हर महीने मोटी कमाई कर रहा था। आगे इस पैसे को एएसआई चंद्र भूषण वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े नेताओं को ‘संरक्षण राशि’ के रूप में वितरित कर रहा था।
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ईडी ने बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को लगभग 65 करोड़ नकद राशि मिली थी और उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत दी थी। एएसआई वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वह कई शक्तिशाली लोगों के लिए बड़ी मासिक रिश्वत ले रहा था और भुगतान कर रहा था।
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