युगीन कला साहित्य प्रवाह की साहित्यिक सांस्कृतिक यात्रा सम्पन्न

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संवाददाता भीलवाड़ा। कला और साहित्य से जुड़ी क्षेत्र की प्रतिभाओं को आगे लाने और निखारने में लगी संस्था युगीन कला साहित्य प्रवाह के 11 युवा साहित्यकारों की 2 दिवसीय साहित्यिक और सांस्कृतिक यात्रा सम्पन्न हुई। संस्थापक और सर्वाधिक मास्टर डिग्री प्राप्त कर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की बराबरी करने वाले योगेश दाधीच योगसा ने बताया कि इस अनूठी यात्रा में कृष्णभक्ति काव्यधारा से जुड़े स्थानों का भ्रमण किया गया। भ्रमरगीत के रचयिता भक्तकवि सूरदास के साधना स्थल चन्द्रसरोवर, भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार, कृष्णोपासक, सखी संप्रदाय के प्रवर्तक, उच्च कोटि के संगीतज्ञ सन्त हरिदास के निधिवन वृंदावन स्थित समाधि स्थल, सवैयों से बालकृष्ण की लीलाओं का गान करने वाले रसखान के रमण रेवती स्थित समाधि स्थल, गोवर्धन पर्वत, बांकेबिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, श्रीकृष्णजन्मभूमि, पागल बाबा का मंदिर, श्रीराम सेवा आश्रम आदि स्थलों का भ्रमण किया गया। विश्व के पहले रेल कवि सम्मेलन का आयोजन
वापसी यात्रा के दौरान विश्व के पहले रेल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में अध्यक्ष उदयपुर के राजकुमार खंडेलवाल, मुख्य अतिथि संत श्री लालजी महाराज कोटड़ी की उपस्थिति में देर रात तक कवि सम्मेलन जमा। काव्य मंचों पर हास्य के प्रखर हस्ताक्षर दीपक पारीक ने अपनी रचनाओं से हास्य के साथ नशामुक्ति का संदेश दिया। सतीश कुमार व्यास आस ने जीवन के यथार्थ से जुड़ी गज़ल ‘बंशियां रोज बजती है, सुरीलापन नहीं मिलता..’ बाल साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण सत्य ने होली के गाल लाल लाल कर दें, असिस्टेंट प्रोफेसर सूर्यप्रकाश पारीक ने मुक्तक, अजित सिंह कोटड़ी ने गजल नशा अपराध का कारण ,घरों को तोड़ देता हैं। खुदी के हाथ ले पत्थर ,सिरों को फोड़ देता हैं, सुरेंद्र वैष्णव ने होली गीत, चन्द्रेश टेलर ने मुक्तक , छुअन का असर पुस्तक के रचनाकार रोहित विश्नोई सुकुमार ने ‘नर्सिंग वाली लड़की …’कविता, प्रकाश पारासर अमरगढ़ ने मुक्तक, घनश्याम शर्मा बादल ने ‘हम परिंदे शहर को निकल आये हैं कविता, योगेश दाधीच योगसा ने ‘नजरों का क्या कसूर..’ कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संस्था के संरक्षक पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल लाल दाधीच और अन्य सदस्यों ने अपनी तरह की इस अनूठी यात्रा के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी।

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