श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शिव-पार्वती विवाह और समुद्र मंथन की कथा का श्रवण

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हनुमानगढ़। श्रीगौशाला समिति में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा और ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा वाचक पूज्य श्री मुरलीधर जी माधव ने शिव-पार्वती विवाह और समुद्र मंथन की कथा सुनाई। श्रद्धालुओं ने इस दिव्य प्रसंग को भावविभोर होकर सुना और भक्ति रस में डूब गए। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य यजमान सज्जन बंसल डिंगवाला और लोकेश बंसल डिंगवाला ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ की। मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। कथा वाचन के दौरान पूज्य श्री मुरलीधर जी ने शिव और पार्वती के विवाह की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि यह प्रसंग केवल शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक नहीं है, बल्कि जीवन में धैर्य, तपस्या और प्रेम की महत्ता को भी दर्शाता है। समुद्र मंथन की कथा के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि कठिन प्रयासों और परिश्रम से ही जीवन में अमृत समान उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।
कथा के दौरान भक्ति गीतों और भजनों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद से सराबोर कर दिया। उपस्थित भक्तों ने मंत्रमुग्ध होकर कथा का श्रवण किया और भगवान शिव व माता पार्वती से अपने जीवन में सुख-शांति की कामना की।
आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि कथा और ज्ञान यज्ञ का आयोजन समाज में आध्यात्मिकता और भक्ति भावना को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा रहा है। आने वाले दिनों में भी भागवत कथा के विभिन्न महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। कथा के समापन पर श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और भगवान के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की। आयोजकों ने सभी से अपील की कि वे इस आयोजन में सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त करें।

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