JLF 2017: हम गांधी की जमीन पर रहते हैं, यह गांधी यानी महात्मा गांधी, राहुल गांधी नहीं

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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन के लास्ट सेशन में भारत वास्तविकता से परे की दुनिया है। इसी सच को समझाने के लिए 1 घंटे से ज्यादा चली इस बहस में सच की डेफिनेशन नहीं मिल पाई और अंत में बहस ड्रॉ रही। डिबेट की शुरूवात में स्वप्निल गुप्ता और सुहेल सेठ ने कहा देश के बुद्धिजीवी वर्ग कभी भी सच्चाई को आगे नहीं आने देते लेकिन सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म बना है जिसने सभी रास्ते खोल दिए। थरूर ने एक राजकुमार की कहानी सुनाकर सच्चाई की असलियत के बारे में डिबेट में हिस्सा लिया। वहीं इसी डिबेट में शशि थरूर दोनों ही पक्ष में एक समान दिखे।

इसी बहस को आगे बढ़ाते हुए सुहेल सेठ ने कहा, मीडिया मोशन क्रियेट करने की कोशिश करता है। उन्होंने कहा कि मीडिया का एक वर्ग बातों को मेनुपुलेट करता है। हम गांधी की जमीन पर रहते हैं। यह गांधी यानी महात्मा गांधी, राहुल गांधी नहीं। उन्होंने कहा कि मीडिया लोगों को उनके जेंडर के आधार पर विभेद करता है। आगे उन्होंने कहा सच्चाई और उसके बाद की सच्चाई ऐसे ही है जैसे सहिष्णुता और असहिष्णुता। मुझे ऐसा लगता है कि लोगों को लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप झूठा आदमी है। लोगों को ये अच्छी तरीके से पता है कि डोनाल्ड ट्रंप के बारे में मीडिया ने मेनुपुलेट किया था। और मीडिया को राजनेताओं ने मेनुपुलेट किया था। और राजनेताओं को भी किसी ने मेनुपुलेट किया ही होगा।

हम एक डेमोक्रेटिक देश में रहते हैं जहां पर सच्चाई को संभालकर रखने की कोशिश की जाती है। इसे मैं बातों को गलत तरीके से प्रदर्शित करने वाला समय कहूंगा। आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, जहां पर लोग तथ्यों से खिलवाड़ करते हैं। मेनुपुलेशन किया जाता है। इस पैनल के अंदर बहुत गणमान्य लोग बैठे हैं, इसमें से कुछ अपर हाउस के तो कुछ लोअर हाउस के। इनमें लोअर हाउस के शशि थरूर और अपर हाउस के स्वप्निल दास गुप्ता। अपर हाउस के ज्यादा सभ्य लोग होते हैं। मुझे अमेरिका के लोगों की सच्चाई पर विश्वास है, उन्हें ब्लेसिंग देना चाहता हूं कि ट्रंप उनकी आशाओं पर खरा उतर जाए।