हनुमानगढ़ की भूमिः ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की त्रिवेणी का संगम

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-गोवंश का संवर्द्धन एवं पर्यावरण संरक्षण वर्तमान की आवश्यकता
हनुमानगढ़। श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के दत्तशरणानंद महाराज ने कहा कि हनुमानगढ़ की भूमि में ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का त्रिवेणी संगम है। उन्होंने कहा कि गायों का संवर्द्धन एवं आवश्यकता है। स्वामी वेदलक्षणा गोसेवा संदेश अन्तर्गत मंगलवार को हनुमानगढ़ की गोशाला समिति में आयोजित सत्संग सभा में कही। उन्होंने कहा कि गोसेवा का अर्थ धरती, प्रकृति, देश व पर्यावरण की सेवा है। उन्होंने कहा कि गाय धरती को पोषित करती है, धरती के पोषण से पर्यावरण शुद्ध होगा। इससे वातावरण सात्विक होगा जिससे व्यक्ति में दया और करुणा के भाव जागृत होंगे। उन्होंने कहा कि गाय तो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन आज गोपालन की छूटती वृति प्रकृति के लिए चुनौती बन गई हैं। यात्रा उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें केवल सरकार पर नहीं वरन आत्मनिर्भर बनकर गोसंरक्षण करना होगा। उनका कहना था गाय दिव्य आलोकिक शक्ति है।सत्संग सभा को सम्बोधित करते हुए श्री दत्तशरणानंद जी महाराज ने पांच सन्देश देते हुए कहा कि वर्तमान समय में गौ सेवा करने के क्रम में हमें शहर एवं कस्बों को प्लास्टिक मुक्त करना चाहिए जिससे गौमाता के पेट में भी प्लास्टिक ना जाने पाये। उन्होने कहा कि अस्वस्थ गौमाता के उपचार हेतु हमें सभी स्थानों पर गौ चिकित्सालय का निर्माण करवाना चाहिए जिससे गौमाता का समय पर उपचार हो सके। महाराज श्री ने हर क्षेत्र में नन्दी शाला की स्थापना पर जोर देते हुए कहा कि इससे नर बछडों की सेवा हो सकेगी एवं गली मोहल्लों  एवं बाजार में इनके विचरण पर रोक लग सकेगी। उन्होने कहा कि गौसेवा को प्रोत्साहन करने हेतु हमें गौवृत धारण करना होगा जिसमें यह प्रण करें कि गौमाता के पंचगव्यों का ही सेवन करें जिससे गौ पालन को बढावा मिले। पांचवा सन्देश देते हुए उन्होने कहा कि गोचर भूमि जहां भी है हमें गौमाता के लिए उसकी रक्षा करनी होगी। इसके अतिरिक्त भी महाराज श्री ने गौमाता के लिए बहुत सुन्दर सुन्दर विचार प्रस्तुत किये। राजस्थान गोसेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष दिनेशगिरि महाराज ने कहा कि यह ऋषि-मुनियों का देश है और गाय हमारी संस्कृति है। भारत की आजादी के बाद पहला कार्य था गोरक्षा का लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। पथमेड़ा धाम ने गोसेवा की भावना को जागृत करने की पहल की है। इसलिए हमें सम्पूर्ण प्रदेश में एक केन्द्र, एक नेतृत्व व एकमन होकर काम करें तो यह वेद संदेश यात्रा लक्ष्य निश्चित प्राप्त करेंगी। गोपाल संघ के स्वामी जगदीशगिरि ने कहा कि यह यात्रा इसलिए आई है कि हम गाय के प्रति अपने कर्तव्य बोध समझें। स्वामी मनोहर शरण ने विचार व्यक्त किया। सत्संग सभा के पश्चात नगरपरिषद सभापति गणेश बंसल, पूर्व चेयरमैन संतोष बंसल, उपसभापति अनिल खीचड़ सहित संतो द्वारा नंदीशाला की नींव रखी गई। इस मौके पर जिलाध्यक्ष अभयपाल ऐचरा, जिला उपाध्यक्ष अजय गर्ग, टिब्बी तहसील अध्यक्ष रविन्द्र रणवां, हनुमानगढ़ तहसील अध्यक्ष मनोहरलाल बंसल, विजय रौंता, मनीष बतरा, मुकेश महर्षि, सौरभ जिंदल, विजय गोयल, महेश शर्मा, रामस्वरूप झोरड़, रामकुमार गोदारा, दयाराम डोटासरा सहित अन्य गौसेवक मौजूद थे।

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