कुलभूषण जाधव मामला: ICJ में भारत ने कहा इस मामले में पाकिस्तान को जल्दी क्यों?

जाधव की फांसी 1963 के वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है

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नई दिल्ली: कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में सोमवार को सुनवाई शुरू हुई। भारत की तरफ से वकील हरीश साल्वे पक्ष रखने पहुंचे हैं। जबकि पाकिस्तान की तरफ से तहमीना जांजुआ पक्ष रखने इंटरनेशल कोर्ट पहुंची हैं। बता दें कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण को मौत की सजा सुनाई है, जिसके खिलाफ भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट में पिटीशन लगाकर जाधव के लिए इंसाफ मांग की।

एक बेकसूर भारतीय को पाकिस्तान में अरेस्ट किया गया
भारत ने कहा कि जाधव को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया। उसे काउंसलर एक्सेस भी नहीं दिया गया, जबकि इसके लिए बार-बार डिप्लोमैटिक रिक्वेस्ट की गईं। एक बेकसूर भारतीय को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया है। यह सिविलाइज्ड वर्ल्ड में गैर कानूनी है। जाधव के बुजुर्ग मां-बाप हैं। जाधव को (पाकिस्तान की) मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।”
2. अगर जाधव दोषी था तो उनका केस मिलिट्री कोर्ट में क्यों चलाया गया?
जाधव को सिर्फ इकबालिया बयान के आधार पर फांसी की सजा सुनाई गई। अगर वो दोषी थे तो उनका केस मिलिट्री कोर्ट में क्यों चलाया गया। भारत को इस सुनवाई पर ही आपत्ति है। उनको डिफेंस लॉयर क्यों नहीं दिया गया। भारत सरकार ने 27 अप्रैल को पाकिस्तान के पीएम को दखल देने के लिए भी लेटर लिखा था, लेकिन इसका भी जवाब नहीं दिया गया। पाकिस्तान में मिलिट्री कोर्ट की ओर से डेथ सेंटेंस देने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पाक मिलिट्री के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने ही वहां 18 लोगों को सजा-ए-मौत दी गई।
3. जाधव की फांसी 1963 के वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है ?
आगे कहा गया जाधव की फांसी 1963 के वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है। इसमें देशों के बीच काउंसलर एक्सेस पर जोर दिया गया है। कोई भी देश जो दूसरे देश के आरोपी को अरेस्ट करता है, उसे मानवीय आधार पर काउंसलर प्रोटेक्शन और एक्सेस दिया जाना जरूरी होता है। ये किसी भी देश के जस्टिस एडमिनिस्ट्रेशन के लिए भी जरूरी है। पाकिस्तान को भी यही करना था। लेकिन, उसने मार्च 2016 के बाद से अब तक भारत को जाधव के मामले में काउंसलर एक्सेस नहीं दिया। इसलिए, भारत इस कोर्ट से अपील करता है कि वो भारत को काउंसलर एक्सेसस पर रोक लगाए और वियना कन्वेंशन का पालन (प्रोटोकॉल फॉलोे) कराया जाए। क्योंकि, पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और वियना कन्वेंशन का कहीं भी पालन नहीं किया। पाकिस्तान को इंटरनेशनल कोर्ट का सम्मान करना ही होगा।
kulbhushan case
पाकिस्तान के अखबार डॉन ने अपने एक लेख  में कहा कि आईसीजे की सुनवाई में पाकिस्तान को सफलता मिल सकती है जबकि भारत को झटका लग सकता है।
इस मामले में पाकिस्तान को जल्दी क्यों
साल्वे ने कहा- “जाधव के माता-पिता की वीजा एप्लीकेशन भी पेंडिंग हैं। यानी हर अपील को किसी ना किसी तरह खारिज कर दिया गया। ऐेसा कैसे हो सकता है कि किसी आरोपी को किसी तरह की कोई सुविधा ना दी जाए। खासतौर पर न्याय के मामले पर। इसके बाद भी पाकिस्तान कहता है कि जाधव के मामले में कोई गलती नहीं हुई। उसे इतनी जल्दी क्यों है?
बताया जा रहा है कि आज की सुनवाई में पाकिस्तान कोर्ट के सामने भारत की मांग को ठुकराते हुए केस रिजेक्ट करने की मांग कर सकता है। इस सिलसिले में पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल और दूसरे अधिकारियों के बीच मीटिंग हुई है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान कोर्ट के सामने कुलभूषण जाधव के कथित कबूलनामे का वीडियो भी पेश कर सकता है।

18 साल पहले ‘विमान गिराने’ का उठा था मामला
18 साल पहले दोनों देश अंतरराष्ट्रीय अदालत में आमने-सामने हुए थे। दरअसल 10 अगस्त 1999 को कच्छ क्षेत्र में भारतीय वायु सेना ने एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान एटलांटिक को मार गिराया था। विमान में सवार सभी 16 नौसैनिकों की मौत हो गई थी। पाकिस्तान का दावा था कि विमान को उसके वायुक्षेत्र में मार गिराया गया और उसने भारत से 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के मुआवजे की मांग की थी। अदालत की 16 जजों की पीठ ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया।

2016 में हुई जाधव की गिरफ्तारी
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी का दोषी बताते हुए फांसी की सजा सुनाई है। पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में उन्हें एक साल से भी अधिक समय से हिरासत में रखा है। कुलभूषण जाधव को 10 अप्रैल को फांसी की सजा सुनाई गई थी। पाकिस्तान ने जाधव को 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था।

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