व्यक्ति के सर्वागीण विकास के लिए कर्म, ज्ञान और भक्ति का ज्ञान बेहद जरूरी – भाई संतोष सागर

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हनुमानगढ़। जीवन में अनुकूलता और प्रतिकूलता दोनों ही स्थिति में मन को शांत व सरल भाव से जीवन जीने की प्रेरणा श्रीमद्भागवत से मिलती है। गीता की सद्प्रेरणा पर विचार कर जीवन के यथार्थ भाव पूरा किया जा सकता है। मानव जीवन में अनुकूलता आने पर अहंकार का प्रवेश होता है जबकि प्रतिकूलता होने पर मन विचलित होता है। दोनों ही स्थितियों में मन का संतुलन केवल गीता के माध्यम से ही किया जा सकता है। उक्त शब्द भाई संतोष सागर जी महाराज ने जंक्शन चाणक्य क्लासेज में आयोजित कार्यक्रम में कहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक राज तिवाड़ी ने की। भाई संतोष सागर जी महाराज ने कहा कि वर्तमान की युवा पीढ़ी को जब तक वेदों व ग्रंथों का ज्ञान नही होगा तब तक उनके संतोष व संतुष्टी की प्राप्ति होना बेहद मुश्किल है। किसी भी व्यक्ति को अपने सर्वागीण विकास के लिए अपने कर्म, ज्ञान और भक्ति का ज्ञान बेहद जरूरी है। अगर यह तीनों ज्ञान व्यक्ति को होगे तो वह सर्वाेच्च स्थान प्राप्त कर सकता है। उन्होने युवाओं को प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के गुर देते हुए सभी विद्यार्थियों को अपने आप पर आत्मनियंत्रण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होने कहा कि आत्मनियंत्रण केवल ज्ञान, कर्म और भक्ति योग से हो सकता है। साधना के माध्यम से आप अपने आप पर आत्मनियंत्रण कर सकते है और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हो। उन्होने श्रीमद्भागवत गीता का प्रचार प्रसार करते हुए कहा कि यह ग्रंथ को देश विदेश में पढ़ा जाता है और वर्तमान समय में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत युवाओं को है। उन्होने कहा कि वर्तमान की युवा पीढ़ी नशे व गलत संगती में पडकर अपने जीवन को तहस तहस कर रही है अगर वह धर्म और ग्रंथ से जुड़ते है तो उन्हे अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य प्रापत होगा। उन्होने बताया कि हमारी उक्त यात्रा का मुख्य उद्देश्य श्रीमद्भागवत गीतों के उपदेशों को युवाओं तक पहुचाना है । संस्था निदेशक राज तिवाड़ी ने सनातन धर्म यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि हम सभी को हमारे मन में संकल्प लेना होगा कि हम श्रीमद्भागवत गीता ग्रंथ को पढ़कर इस पर अमल करेगे। सहनिदेशक शिव पारीक ने आये हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। आयोजन समिति के सदस्य विकास गुप्ता ने बताया कि सनातन धर्म यात्रा 1 वर्ष में पूरे राजस्थान के 33 जिलों में प्रवास करेगी जिसमें हनुमानगढ़ तृतीय पड़ाव है। उन्होंने बताया कि इस यात्रा में श्रीमद्भागवत गीता ग्रंथ का निशुल्क वितरण धार्मिक ग्रंथों का प्रचार यज्ञ एवं सनातन धर्म उत्थान के आध्यात्मिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों से जुड़ने वाले आयोजन होंगे। कार्यक्रम के अंत में भाई संतोष सागर जी के द्वारा समस्त विद्यार्थियों को श्रीमद् भागवत गीता निशुल्क प्रदान की गई व इस के विचारों को अपने जीवन में उतारने के लिए विद्यार्थियों को संकल्प दिलाया गया। कार्यक्रम में  चाणक्य क्लासेज के सह निदेशक शिव पारीक  व अध्यापक गण कपिल सोनी, विनोद कश्यप, गुरमीत सिंह, मनोज स्वामी, चंद्रभान सिंह, सीमा दाधीच ,अनुबाला आदि उपस्थित रहे ।

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