संवाददाता भीलवाड़ा। जिनवाणी के माध्यम से पहले ज्ञान प्राप्त करे, ज्ञान से ही जीवन मे दया की भावना आती है। धन जितने सुख देता है उतने दुःख भी देता है। इतना ही कमाओ की आपकीं नैतिकता सुरक्षित रह सके, जीवन संचालन की व्यवस्था हो सके। वही धन काम का है जो अन्ततः प्रयाश्चित का मौका न दे।हमारी आवश्यकता और कर्तव्यों की पूर्ति हो जाये। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी आनन्दप्रभा ने धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि आगम का गहन अध्ययन जिस साधक को होता है वही साधक बेधड़क प्रवचन दे सकता है और शंका का समाधान कर सकता है सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए सुबाहु कुमार ने जो पुण्यवानी प्राप्त की उसका विस्तार से वर्णन किया। साधक की साधना मजबूत होनी चाहिए, जिस संत को सभी धर्मों का ज्ञान हो वो संत पूजनीय हो जाते है। ऐसा पाप कभी मत करो जो यहाँ आने के बाद भी भोगना पड़े। साध्वी चंदनबाला ने कहा कि दान, शील, तप, भावना यह चारो मोक्ष के दरवाजे है। आगामी 4 सितम्बर से पर्यूषण पर्व शुरू होने जा रहे है इसमें हम अधिक से अधिक तप त्याग कर कर्मो की निर्जरा करे। माता जन्म देती है , जीवन जीने की कला गुरु ही सीखाता है। जवानी में कई तरह के भटकाव आते है जिन्हें गुरु ही सही राह दिखाता है। हर संत में कोई ना कोई गुण होता है। संतो का सदैव आदर करे संतो की वाणी को जीवन मे उतारने का प्रयास करे। तपस्या करना कोई आसान कार्य नही है। तपाचार्य साध्वी जयमाला ने पूर्व में 111 उपवास सहित अनेक तपस्याएँ की है इसी कारण इन्हें तपाचार्य के नाम जाना और पहचाना जाता है। तपस्या के क्रम में आज श्रीमती भावना संजय मेहता ने 9 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। श्रीमति शिल्पा मेहता ने तपस्या की अनुमोदना पर एक गीतिका प्रस्तुत की। बाहर से आये आगन्तुको का संघ अध्यक्ष चन्द्र सिंह चौधरी, मंत्री देवी लाल पीपाड़ा ने स्वागत किया।
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।