केरल में निपाह वायरस ( Nipah Virus) के अब तक 4 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें दो लोगों की मौत हुई है। मौत के बाद 3 और जिले कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम में अलर्ट जारी किया गया है। यहां के 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। कंटेनमेंट जोन वाले इलाके और अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में 2018 में निपाह वायरस से 17 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले निपाह वायरस का मामला 2019 में कोच्चि में सामने आया था। वहीं, 2021 में भी कोझिकोड में निपाह वायरस का एक केस मिला था।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, कोझिकोड के जिला अधिकारी ने 7 पंचायतों में सभी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आंगनबाड़ी केंद्र, बैंक और सरकारी संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है। सुबह 7 से शाम 5 बजे तक सिर्फ दवाइयां और जरूरी चीजों की दुकानें ही खोलने की इजाजत है। केरल में निपाह से पहली मौत 30 अगस्त और दूसरी मौत 11 सितंबर को हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने मंगलवार को बताया था कि दोनों मृतकों के सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए हैं।
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उन्होंने दो और मरीज मिलने की पुष्टि की थी। इनमें एक 9 साल का बच्चा और 24 साल का युवक शामिल है। दोनों का इलाज जारी है। स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है।
क्या है निपाह वायरस
निपाह वायरस चमगादड़ और सुअर जैसे जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। इस बीमारी की मरने वालों की दर बहुत ज्यादा है। अब तक इसका कोई ट्रीटमेंट या टीका (इंजेक्शन) उपलब्ध नहीं है। जूनोटिक वायरस उसे कहते हैं, जो जानवरों से इंसानों में या इंसानों से जानवरों में फैलता है।
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निपाह वायरस के लक्षण
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, निपाह वायरस सिर्फ जानवरों से नहीं, बल्कि एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है। WHO की मानें तो निपाह वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों में वायरल फीवर होने के साथ सिरदर्द, उल्टी जैसा लगना, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर ये लक्षण 1-2 हफ्ते तक रहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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कब आया निपाह वायरस का पहला केस
1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। इसी गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। तब सुअर पालने वाले किसान इस वायरस से संक्रमित मिले थे। मलेशिया मामले की रिपोर्ट के मुताबिक, पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के मामले सामने आए थे। मलेशिया में निपाह सामने आने के बाद उसी साल इस वायरस का पता सिंगापुर में भी चला था। इसके बाद 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस से संक्रमित मरीज मिले। कुछ वक्त बाद बांग्लादेश से जुड़ी भारतीय सीमा के आसपास भी निपाह वायरस के मरीज मिलने लगे।
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