ये भी पढ़े – ‘पद्मावति’ इस तारीख को नए नाम और 24 कट्स के साथ रिलीज होने को तैयार है
साल 2017 बहुत सारे विवादों और उपलब्धियों के साथ विदाई लेने को हैं । इस साल के विवादों और उपलब्धियों का जिक्र हो और पद्मावती का नाम ना आये तो कैसे चलेगा ? इस विवाद पर कल फिल्म सेंसर बोर्ड ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर दिए गये फैसले के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जाते – जाते साल 2017 इस विवाद को ख़त्म कर गया पर विवाद रूक गया ऐसा है नहीं, यह विवाद अभी भी जारी हैं ।
राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने शनिवार को आई ख़बर के बाद फिर से कहा कि जिस भी सिनेमाघर में फिल्म ये फिल्म दिखाई जाएगी, उस सिनेमाघर में तोड़फोड़ होगी। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ता इस पद्मावती फिल्म का प्रदर्शन किसी भी हाल में नहीं होने देंगे। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने बताया किइस फिल्म का रिव्यू कमेटी ने विरोध किया था, लेकिन सेंसर बोर्ड ने अंडर वर्ल्ड के दबाव में आकर इस फिल्म को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी के अनुसार फिल्म को देखने वाले इतिहासकारों का पैनल उनके संपर्क में है। कालवी का दावा है कि फिल्म देखने के बाद पैनल ने सेंसर बोर्ड को साफ शब्दों में कहा कि ये फिल्म रिलीज नहीं हो सकती है क्यूंकि इस फिल्म में बहुत खामियां हैं। कालवी ने ये भी कहा कि फिल्म के नाम व घूमर गाने में बदलाव की बात सुनी है, लेकिन गाने में बदलाव नहीं, बल्कि गाने पर ही बैन होना चाहिए।
इस विवाद में फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा गठित किये गए पैनल पर ही सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में करणी सेना और जौहर स्मृति संस्थान ने समीक्षा पैनल को भंग कर नया पैनल बनाने की मांग की है और साथ ही महत्वपूर्ण संगठनों ने इस समीक्षा पैनल में मेवाड़ राजघराने के पूर्व महाराजा महेन्द्र सिंह या उनके बेटे विश्वराज सिंह को शामिल करने की मांग की है हालांकि वर्तमान पैनल में उदयपुर के पूर्व महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ शामिल थे । आपको पता ही है कि इस फिल्म का राष्ट्रीय स्तर पर विवाद होने पर फिल्म सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखने के लिए एक समीक्षा पैनल गठित किया था। इसमें उदयपुर के पूर्व महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ के साथ, राजस्थान विश्विघालय के चन्द्रमणि सिंह और प्रो. केके सिंह को शामिल किया गया था। लेकिन राजपूत समाज के कुछ लोगों को इस पैनल पर आपत्ति है और ये संगठन एक नया पैनल बनाने की मांग कर रहे हैं।
साथ ही ये मांग भी उठ रही है कि अगर भंसाली द्वारा फिल्म निर्माण में किये गए खर्च की बात को लेकर अगर इस फिल्म को रिलीज़ करने की बात है तो सरकार भंसाली द्वारा खर्च की गयी राशि उसको देकर फिल्म पर रोक लगा ले अगर ये काम भी सरकार से नहीं होता है तो ये भी करणी सेना पर छोड़ दें । करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेडी ने इस फिल्म “पद्मावती” को रिलीज नहीं करने की चेतावनी दी है और कहा है कि हम इस पद्मावती को देश में कहीं भी रिलीज नहीं होने देंगे और सरकार ने जबर्दस्ती की तो नुकसान की जिम्मेदारी भी सरकार की होगी।
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