UP में 5 दिन में दूसरा रेल हादसा, जर्मन तकनीक से बने कोचों ने बचाई यात्रियों की जान

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उत्तर प्रदेश: आजमगढ़ से दिल्ली जा रही कैफियात एक्सप्रेस ट्रेन औरेया जिले में दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर एक डंपर से टकरा गई। इंजन समेत 10 डिब्बे पलट जाने से 80 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए, जिसमें 26 की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। बता दें यूपी में पिछले पांच दिनों के अंदर यह दूसरी बड़ी ट्रेन दुर्घटना है। इससे पहले 19 अगस्त को मुजफ्फरनगर में खतौली के पास उत्कल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई थी।  हालांकि यहां राहत की बात रही कि इस बड़े हादसे के बावजूद इसमें किसी यात्री की जान जाने की खबर नहीं है।

जानकारी के मुताबिक, कानपुर और इटावा के बीच आने वाले अछल्दा रेलवे स्टेशन के बीच वीरपुर गांव के पास यह हादसा हुआ है। यहां एक डंपर रेलवे ट्रैक को पार कर रहा था, उसी वक्त तेज रफ्तार में निकल रही कैफियात एक्सप्रेस ट्रेन उससे टकरा गई, जिससे करीब 10 डिब्बे पटरी से उतर गए।
80 घायलों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है और मामूली तौर पर घायल हुए लोगों का मौके पर ही इलाज किया जा रहा है। रेलवे ऑफिशियल्स के मुताबिक, हादसे में अभी तक किसी के मारे जाने की खबर नहीं है। अछल्दा के हेल्थ सेंटर पर करीब 50 से ज्यादा मरीज लाए गए हैं। जबकि, सेंटर की कैपेसिटी 15 से 20 मरीज एक साथ देख पाने की है। अब कानपुर और इटावा से डॉक्टरों की टीम को बुलाया गया है।
औरेया रेल हादसे में घायलों के इलाज के लिए सैफई मिनी पीजीआई ने इमरजेंसी कंट्रोल रूम नंबर 05688276566 जारी किया है।

जर्मन कोचों की वजह से बची यात्रियों की जान

आजतक की खबर के अनुसार, कैफियत एक्सप्रेस में जर्मन तकनीक से बने हुए लिंक-हॉफमैन बुश (LHB) कोच लगे हुए हैं और इसी वजह से इस बड़े हादसे में अपेक्षाकृत कम नुकसान हुआ। ये कोच ऐसी तकनीक से लैस हैं, जिनसे हादसे के बाद ये न तो पलटते हैं और न ही एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं। इन कोच का बाहरी हिस्सा जहां स्टेनलेस स्टील से बना होता, वहीं अंदरूनी हिस्से अल्यूमिनयम के होते हैं, इससे ये पारंपरिक कोचों की तुलना में ज्यादा हल्के और सुरक्षित होते हैं। इसके अलावा यहां हर कोच में एक अलग उन्नत न्यूमैटिक डिस्क ब्रेक लेग होते हैं, जिससे तेज गति से चलने के दौरान भी ट्रेन को आसानी से और जल्दी रोका जा सकता है।

कब से हुआ इस्तेमाल:

भारतीय रेल ने वर्ष 2000 से ही इन LHB कोच का इस्तमेाल शुरू किया था। इसमें एक कोच को बनाने में डेढ़ से दो करोड़ रुपये की लागत आती है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2017 तक सभी ट्रेनों में ये उन्नत कोच लगाने की घोषणा की थी। हालांकि मौजूदा वक्त में राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी, दुरंतो, अंत्योदय, हमसफर और गतिमान जैसे प्रीमियम ट्रेनों सहित कुल 75 ट्रेनों में ये कोच लगे हैं।

इन ट्रेनों का बदला रूट, कुछ हुई रद्द:

कानपुर स्टेशन अधीक्षक ने बताया कि एक्सीडेंट के कारण राजधानी समेत चालीस ट्रेनों को लखनऊ-मुरादाबाद रूट से दिल्ली भेजा जा रहा है। वहीं कुछ ट्रेनों को कन्नौज-फर्रुखाबाद के रास्ते दिल्ली भेजा जाएगा। कानपुर सेन्ट्रल से चलने वाली शताब्दी समेत सात डीएमयू ट्रेनों को रद्द किया गया है। चार राजधानी एक्सप्रेस के साथ-साथ गोमती एक्सप्रेस का भी रास्ता बदल दिया गया है. कानपुर में जो ट्रेन खड़ी हुई है उन्हें कासगंज के रास्ते आगे भेजा जा रहा है।

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