JLF 2017: कोई भाषा मर रही है, तो उसे मर जाना चाहिए: मानव कौल

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10वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन के अंतिम सेशन कितना कुछ जीवन में किस्सों और कविताओं का ऐसा समागम बनता चला गया कि मानो ऐसा लग रहा है था कि लेखक के किस्सें कहानियों में श्रोता डूबता जा रहा है। इस संवाद में स्वानंद किरकिरे और मानव कौल के साथ सत्यानंद निरुपम संवाद कर रहे थे। इस दौरान सत्यानंद ने दोनो लेखकों से कई सारे सवाल-जवाब किए।

कार्यक्रम के आखिरी में दर्शकों की ओर से स्वानंद और मानव कौल से कुछ सवाल किए गए, जिसमें से एक लड़की ने मानव कौल से सवाल किया कि आज के समय में हमारे देश में पश्चिमी भाषाओं का दबदबा बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी भाषाओं ने हमारी हिन्दी भाषा को हाइजैक कर लिया और आज हम वाट्सएप पर भी हिन्दी शब्दों को अंग्रेजी में लिखते हैं। हमारी मातृभाषा हिन्दी अपनी पहचान खोती जा रही है और हम इसे बचाने के लिए क्या कर सकते है, इस बारे में आपके क्या विचार हैं ? इस सवाल का मानव कौल ने जवाब देते हुए कहा, इस बारे में मेरे विचार अच्छे नहीं है। मानव ने कहा, मेरा मानना यह है कि अगर हिन्दी मरती है, तो उसे मरने दो।

हिन्दी को बचाए रखना हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। आपको जो अच्छा लगता है वो पढ़िए और जो अच्छा नहीं लगता है उसे बिल्कुल मत पढ़िए, मानव का मानना है जब कोई चीज खत्म होगी, तभी उसकी जगह एक नई चीज आएगी और हिन्दी कोई अपंग नहीं है। सब अपने-अपने में मस्त है। उन्होंने आगे कहा कि आपको वही भाषा बोलनी चाहिए, जो आपको अच्छी लगती है। मानव कौल के इस जवाब पर स्वानंद किरकिरे ने भी सहमति जताई। किरकिरे ने कहा कि यदि कोई भाषा मर रही है, तो उसे मर जाना चाहिए। हालांकि इस तरह के जवाब के बाद ऑडियंस ने आलोचना भी कि लेकिन धीमे स्वर में।
 बता दें गीतकार स्वानंद किरकिरे ने अपनी आने वाली किताब आप कमाई के आवरण का विमोचन भी किया। पूछे जाने पर कि उन्होंने अपनी किताब के लिए ऐसा नाम क्यों चुना उनका कहना था कि संगीत उन्होंने अपने पिता से पाया था, तो वो उनकी ‘बाप कमाई’ थी। लेकिन कविता उनकी खुद की मेहनत है, इसलिए ये उनकी आप कमाई है।
इसके अलावा मानव कौल की दो किताबें बाजार में आ चुकी हैं। वे अपने कोरे पन्नों के प्रेम के लिए जाने जाते हैं। उन्हें अपनी तन्हाई से बेइंतेहा मोहब्बत है और वो इसके बारे में खुल कर कहते हैं, “मेरे पास कई शामें, कई रातें खाली, अकेली थीं| जिनमें मैंने अपने अन्दर यात्रा की है।” वो अपने ईश्वर का धन्यवाद करते हैं कि वे लिख पाए।