10वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन के अंतिम सेशन कितना कुछ जीवन में किस्सों और कविताओं का ऐसा समागम बनता चला गया कि मानो ऐसा लग रहा है था कि लेखक के किस्सें कहानियों में श्रोता डूबता जा रहा है। इस संवाद में स्वानंद किरकिरे और मानव कौल के साथ सत्यानंद निरुपम संवाद कर रहे थे। इस दौरान सत्यानंद ने दोनो लेखकों से कई सारे सवाल-जवाब किए।
कार्यक्रम के आखिरी में दर्शकों की ओर से स्वानंद और मानव कौल से कुछ सवाल किए गए, जिसमें से एक लड़की ने मानव कौल से सवाल किया कि आज के समय में हमारे देश में पश्चिमी भाषाओं का दबदबा बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी भाषाओं ने हमारी हिन्दी भाषा को हाइजैक कर लिया और आज हम वाट्सएप पर भी हिन्दी शब्दों को अंग्रेजी में लिखते हैं। हमारी मातृभाषा हिन्दी अपनी पहचान खोती जा रही है और हम इसे बचाने के लिए क्या कर सकते है, इस बारे में आपके क्या विचार हैं ? इस सवाल का मानव कौल ने जवाब देते हुए कहा, इस बारे में मेरे विचार अच्छे नहीं है। मानव ने कहा, मेरा मानना यह है कि अगर हिन्दी मरती है, तो उसे मरने दो।
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