जयपुर: आज से डिग्गी पैलेस में साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2017 की शुरूवात हो गई।मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस फेस्ट का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम की शुरूवात गुलजार से हुई। मंच पर आते ही गुलजार ने कहा, मुझे सियासत नहीं आती, आम आदमी की तरह सियासत से प्रभावित जरूर हो जाता हूं।
आगे कहा- मुझे उन कुर्सियों पर बैठने से डर लगता है, जिन पर बैठने से पांव जमीन पर नहीं लगते। इसके बाद दिन भर में कई दिलचस्प सेक्शन हुए। पांच दिन के इस साहित्य कुंभ में 176 सेशन होंगे। इसमें 250 से ज्यादा साहित्यकार, रचनाकार, गीतकार, विचारक, राजनेता, पत्रकार और अन्य सेलिब्रिटी शामिल होंगे।
एक नजर: सेशन में क्या था खास
नसीमा सैफ अली और नीलेश मिश्रा के सेशन में कश्मीर घाटी के मौजूदा हालातों पर चर्चा हुई। जिसमें नीरजा ने अपने विचार रखते हुए कहा कश्मीर भारत की नेशनल ब्यूटी है। वहीं एक सवाल के जवाब में पत्रकार नीलेश मिश्रा ने कहा की पत्रकार सिर्फ पोस्टमैन नहीं। सोशल नाराजगी को जाहिर करने का कायराना तरीका है। जहाँ किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं होती’
‘लिजेसी ऑफ लेफ्ट‘ सत्र में वक्ताओं ने वामपंथी अवधारणा को आज के समय में भी प्रासंगिक बताया। जिस तरह की स्थितियां आज के समय में हैं, उनमे वामपंथ के समक्ष चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन आगे बढऩा मुश्किल भी नहीं। इस सेक्शन में मैदुल इस्लाम, मृदुला मुखर्जी, प्रताप भानू मेहता और टिमोथी गेरटोन शामिल हुए। कन्वर्जन प्रतीक फ्रेंच ने किया। चर्चा में सामने आया कि वामपंथी आइडियोलोजी आज भी कायम है। जो अब पूरी दुनिया की जरूरत है। हालांकि इसकी कुछ प्रोब्लम्स है। कुछ नीतियां ऐसी भी हैं, जो विरोधाभाषी है। लेकिन वामपंथ को नया रूप दिया जाए तो पूरी दुनिया में स्वीकार्य हो सकता है। इसकी आइडियोलोजी रेलिवेंट है।
इनर इंजीनियरिंग ए योगा गाइड टू जॉय में आध्यात्मिक सद्गुरु जग्गी वासुदेव से संजॉय राय ने बातचीत की। इस सेशन में कई सवाल किए गए जिसमें एक था जब सद्गगुरु जग्गी वासुदेव से पूछा कि आपके लड़कियों के हाई हिल्स पहनने पर आपके क्या विचार है, तो सद्गगुरु जग्गी वासुदेव ने कहा, लड़कियां हाई हिल्स पहनकर भगवान के और करीब पहुंच जाती है। हिल्स पहनकर वे आसमान के और पास चल जाती हैं।
इसके अलावा आध्यात्मिक गुरु सद्गगुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं, ‘खुद को खुश रखना बनाना आज सबसे जरुरी है। खासकर आज के टाइम में जब क्रोध, नफरत और असहनशीलता लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है। ऐसा करके आप अपने आसपास के लोगों के लिए सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं। खुशी किसी पर निर्भर नहीं करती है, यह तो आपके अंदर ही है। खुशी को असल में किसी बाहरी चीज की जरुरत नहीं होती। मैं एक पेड़ की पत्ती को देखकर भी कई घंटों तक खुश रह सकता हूं। मैंने कई बार रात के अंधेरे में खुशी का अनुभव किया है।
इसके अलावा अन्य कई सेशन में न्यू बुक लॉन्च हुई कई तरह की चीजों पर चर्चा हुई। और इसी तरह लिट फेस्ट का पहला दिन गुलाबी सर्द हवाओं के साथ समपन हुआ।