नई दिल्ली। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में जागरण डॉट कॉम के संपादक शेखर त्रिपाठी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने कल देर गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया। त्रिपाठी के खिलाफ यह कार्रवाई चुनाव आयोग के निर्देश पर की गई है। उन पर आरोप है कि उन्होंने दैनिक जागरण की वेबसाइट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान बाद की सर्वेक्षण रिपोर्ट डाली थी।
चुनाव आयोग ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए समाचार पत्र के सम्पादक और सर्वेक्षण करने वाली कम्पनी के प्रबंध निदेशक के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने का कल निर्देश दिया था। हालांकि जागरण ने अपनी सफाई में कहा कि‘यह खबर सिर्फ डिजिटल इंग्लिश प्लेटफॉर्म में डाली गई थी, दैनिक जागरण अखबार में नहीं छापी गई।
इंग्लिश वेबसाइट पर एग्जिट पोल से जुड़ी यह खबर अनजाने में डाली गयी थी, इस भूल को फौरन सुधार लिया गया और संज्ञान में आते ही वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से संबंधित न्यूज रिपोर्ट को तुरंत हटा दिया गया था।
लेकिन आयोग इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ और इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि 27 जनवरी को उसकी ओर से जारी अधिसूचना और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1991 की धारा 126 (ए) के उल्लंघन के मामले में अखबार के सम्पादक/प्रबंध संपादक/ मुख्य सम्पादक और मतदान का सर्वेक्षण करने वाली कम्पनी रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
आयोग ने कहा था कि रिसोर्स डेवलपमेंट इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और दैनिक जागरण ने मतदान बाद सर्वेक्षण को प्रकाशित करके जनप्रतिनिधित्व कानून 126 ए और बी के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 का भी उल्लंघन किया है।
क्या है कानून
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 ए के मुताबिक यूपी चुनाव पर कोई भी व्यक्ति, 4 फरवरी की सुबह 7 बजे से लेकर 8 मार्च के शाम साढ़े 5 बजे तक कोई एग्जिट पोल नहीं कर सकता या इनके नतीजों को प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रकाशित नहीं कर सकता। दोषी पाए जाने पर दो साल की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान है।