संवाददाता भीलवाड़ा। बाहर से जागना बहुत सरल होता है लेकिन भीतर से जागना काफी मुश्किल भरा होता है। जिनवाणी एक ऐसा माध्यम है जो आपको भीतर से जगाने का काम करती है साथ ही प्रतिक्रमण करने से भीतर के सभी रास्ते खुल जाते है। जब तक भीतर की आत्मा जागृत नही होगी तब तक मानव का कल्याण होने वाला नही है । उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने धर्मसभा में व्यक्त किये। परिवार में आपस मे मिठास रहती है तब परिवार स्वर्ग की तरह लगता है और जब आपस मे एक दूसरे पर विश्वास नही होकर कटुता के भाव पैदा हो जाते है तो वही परिवार बुरा लगने लग जाता है। परिवार में जब तक आप बड़ो का आदर नही करेंगे एवं छोटो को प्यार नही करेंगे, बहु को बेटी नही समझेंगे, सास को माँ नही समझेंगे तो घर मे शांति रहने वाली नही है। घर परिवार में शांति है तो आपका दिन बाजार एवं ऑफिस में भी अच्छा निकलेगा। भगवान महावीर का मार्ग बहुत सरल है बस इसको अच्छे से समझकर जीवन मे उतारने की जरूरत है। जैन धर्म मे प्रतिक्रमण का बहुत बड़ा महत्व है अगर इसे अग्नि स्न्नान कहे तो भी कोई अतिश्योक्ति नही होगी। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि जब तक हमारी आत्मा अहम का विसर्जन नही करेगी तब तक यह आत्मा जन्म -मरण से मुक्त नही हो सकती है। जैन आगम में 18 तरह के पाप और 9 तरह के पुण्य बताये गए है। पापो की संख्या अधिक है इसलिए हमें इनसे बच के रहना है। हमारे द्वारा किये गए पाप और पुण्य ही अपने साथ जाएंगे, तो क्यो नहीं हमारा पूरा फोकस पुण्य की तरफ रहे ताकि हमारा अगला जन्म भी अच्छा हो। जो हमारे गुरु होते है वह हमें कभी गलत राह नही दिखाते है, अगर हम कही भटक रहे है तो हमे सही मार्ग दर्शन देकर सही रास्ते पर लाने का पूरा प्रयास करेंगे। बाहर से आने वाले श्रीसंघो का स्थानीय संघ ने स्वागत किया।
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