प्रदर्शन की नही आत्मदर्शन की जरूरत है -साध्वी आनन्दप्रभा

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संवाददाता भीलवाड़ा। दिल जब तक पवित्र नही होगा तब तक आत्मा का कल्याण नही हो पायेगा। व्यक्ति को प्रदर्शन की नही आत्मदर्शन की जरूरत है। उक्त विचार महासती जयमाला की सुशिष्या साध्वी आनन्दप्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
साध्वी ने कहा कि बच्चों को भारतीय संस्कृति का अध्ययन करावे, जैन धर्म एक प्रैक्टिकल धर्म है, जो वैज्ञानिक आज कर रहे है वो 2800 वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने आगम में लिख दिया था। हमे प्रमाद का त्याग कर जिनवाणी को जीवन मे उतारना चाहिए जिससे हमारी आत्मा का कल्याण होगा। साध्वी डॉ चन्द्र प्रभा ने कहा कि आसींद संघ पिछले 24 सप्ताह से नियमित हर रविवार को नवकार महामन्त्र का सामूहिक जाप कर रहा है जो एक अनुकरणीय है। इस जाप में जैन धर्म मे आस्था रखने वाले सभी श्रावक – श्राविकाएं बड़े उत्साह के साथ भाग ले रहे है। नवकार को जपने से आत्मा शुद्ध बन जाती हैं एवं परिवार में सुख शांति बनी रहती है। साध्वी चंदनबाला ने कहा कि आचार्य आनंद ऋषि के 121 वे जन्मोत्सव कार्यक्रम के दूसरे दिन सोमवार को सामयिक दिवस के रूप में मनाया जायेगा। नवकार महामन्त्र के जाप के पश्चात निकाले गए लक्की ड्रा के विजेता गौतम पीपाड़ा रहे जिन्हें संघ द्वारा सम्मानित किया गया। बाहर से आये आगन्तुको का संघ ने शब्दो से स्वागत किया।

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