सुख को बाहर खोजने की अपेक्षा अपने भीतर ही खोजे-साध्वी जयमाला म.सा.

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संवाददाता भीलवाड़ा। आसींद जीवन मे हर व्यक्ति सुख चाहता है, हम सुखों को बाहर खोजने में लगे रहते है जब कि सुख हमारे भीतर ही है। उक्त विचार तपाचार्य जयमाला “जीजी” म.सा. ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी चंदनबाला ने धर्मसभा में कहा कि दुःख आने से ही संघर्ष का पता चलता है, कौन अपना है कौन पराया है इसका भी दुःख के समय ही पता चलता है। भगवान महावीर स्वामी ने सुख और दुःख दो शास्त्र दिए है। चातुर्मास काल मे श्रावक को शास्त्र अवश्य सुनना चाहिए, हर धर्म मे चातुर्मास के समय प्रभु की वाणी सुनाई जाती है कोई शास्त्र के माध्यम से कोई अन्य माध्यम से सुनाते है। हम खुशनसीब है कि हमे मानव जीवन मिला है । शास्त्र को सुनने से नरक के द्वार बंद हो जाते है। साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने कहा कि पहला सुख निरोगी काया है , शरीर स्वस्थ होगा तो आप धर्म की मन से आराधना कर सकते है। साध्वी आंनद प्रभा, डॉ चन्द्रप्रभा ने भी धर्मसभा को संबोधित किया। जयआनंद जन परमार्थ संस्थान, भीम के संरक्षक बाबू लाल दक , मंत्री रतन लाल मारू का संघ ने शब्दो से स्वागत किया। पूर्व विधायक रामलाल गुर्जर ने भी परिवार सहित पहुँचकर महासती मंडल के दर्शन लाभ प्राप्त किये।

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