13 साल में कुछ इस तरह से तैयार हुआ देश का सबसे बड़े युद्धपोत INS विक्रांत, देखें VIDEO

नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया। इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है

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PM नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार यानी 2 सितंबर को देश में बने सबसे बड़े युद्धपोत को नौसेना के हवाले कर दिया। नया INS विक्रांत (INS Vikrant) भारत में बना पहला एयर क्राफ्ट कैरियर है। कोचीन शिपयार्ड पर तैयार किए गए इस विमान वाहक पोत के निर्माण में 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है।

साथ ही एक और बड़ा बदलाव हुआ। नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया। इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे PM मोदी ने महाराज शिवाजी को समर्पित किया।

मौजूदा समय में सिर्फ पांच से छह देशों के पास ही एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता है। अब भारत भी इस श्रेणी में शामिल हो गया है। जानकारों का कहना है कि भारत का एक एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना नौसैनिक क्षेत्र में उसकी क्षमताओं को दिखाता है। चलिए जानते हैं कि कितना खास है स्वदेशी INS विक्रांत…

1. भारत में बने आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं। यानी कुछ कलपुर्जे विदेशों से भी मंगाए गए हैं। हालांकि, नौसेना के मुताबिक, पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से ही बना है। कोचिन शिपयार्ड में बने आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है। वहीं, इसकी चौड़ाई भी करीब 62 मीटर है। यह 59 मीटर ऊंचा है और इसकी बीम 62 मीटर की है। युद्धपोत में 14 डेक हैं और 1700 से ज्यादा क्रू को रखने के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स हैं। इनमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन बनाए गए हैं। इसके अलावा इसमें आईसीयू से लेकर चिकित्सा से जुड़ी सभी सेवाएं और वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं भी हैं। आईएनएस विक्रांत का वजन करीब 40 हजार टन है, जो इसे भारत में बने किसी अन्य एयरक्राफ्ट से भारी और विशाल बनाता है।

2. आईएनएस विक्रांत की असली ताकत सामने आती है समुद्र में, जहां इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉट्स तक है। यानी करीब 51 किमी प्रतिघंटा। इसकी सामान्य गति 18 नॉट्स यानी 33 किमी प्रतिघंटा तक है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 7500 नॉटिकल मील यानी 13,000+ किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।

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3. इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विमानों को ले जाने की क्षमता और इसमें लगे हथियार इसे दुनिया के कुछ खतरनाक पोतों में शामिल करते हैं। नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है। इनमें मिग-29के फाइटर जेट्स के साथ-साथ कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर्स, एमएच-60आर सीहॉक मल्टीरोल हेलिकॉप्टर और एचएएल द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। नौसेना के लिए भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट- एलसीए तेजस भी इस एयरक्राफ्ट कैरियर से आसानी से उड़ान भर सकते हैं।

4. इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विमानों को ले जाने की क्षमता और इसमें लगे हथियार इसे दुनिया के कुछ खतरनाक पोतों में शामिल करते हैं। नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है। इनमें मिग-29के फाइटर जेट्स के साथ-साथ कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर्स, एमएच-60आर सीहॉक मल्टीरोल हेलिकॉप्टर और एचएएल द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। नौसेना के लिए भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट- एलसीए तेजस भी इस एयरक्राफ्ट कैरियर से आसानी से उड़ान भर सकते हैं।

विक्रांत के निर्माण भारत की इन कंपनियों का मिला सहयोग
विक्रांत के निर्माण के लिए जरूरी युद्धपोत स्तर की स्टील को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) से तैयार करवाया गया। इस स्टील को तैयार करने में भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL)  की भी मदद ली गई।  नौसेना के मुताबिक, इस युद्धपोत की जो चीजें स्वदेशी हैं, उनमें 23 हजार टन स्टील, 2.5 हजार टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक केबल, 150 किमी के बराबर पाइप और 2000 वॉल्व शामिल हैं।

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इसके अलावा एयरक्राफ्ट कैरियर में शामिल हल बोट्स, एयर कंडीशनिंग से लेकर रेफ्रिजरेशन प्लांट्स और स्टेयरिंग से जुड़े कलपुर्जे भी देश में ही बने हैं। भारत के कई बड़े औद्योगिक निर्माता इस एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण से जुड़े रहे। इनमें भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BEL), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), किर्लोस्कर, एलएंडटी (L&T), केल्ट्रॉन, जीआरएसई, वार्टसिला इंडिया और अन्य शामिल रहे। इसके अलावा 100 से ज्यादा मध्यम और लघु उद्योगों ने भी इस पोत पर लगे स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी के निर्माण में मदद की।

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