रोहिंग्या मुसलमान पर आया ‘सुप्रीम’ फैसला, गिनाएं ये 3 गंभीर कारण

सात रोहिंग्या लोगों को विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था। समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, काचार जिले के अफसरों ने बताया कि जिन्हें वापस भेजा जा रहा है।

0
388

नई दिल्ली: भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या नागरिकों पर फैसला सुनाते हुए उन्हें वापस उनके देश म्यांमार भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसकी पहली प्रणाली में आज 7 लोगों को वापस भेजा गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच कर रही है।

विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि भेजे जा रहे सभी सात नागरिक म्यांमार के हैं और म्यांमार ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। हालांकि, सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि म्यांमार ने अभी इन सभी के उनका नागरिक होने की पुष्टि नहीं कर रही है। जिसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। बता दें इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की तरफ से याचिका दायर की गई थी। जो रद्द कर दी गई है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि गुरुवार को सात रोहिंग्या घुसपैठियों को मणिपुर में मोरेह सीमा पोस्ट पर म्यांमार प्रशासन को सौंपा जाएगा। नई दिल्ली में एक अधिकारी ने बताया कि इन अवैध आव्रजकों को पुलिस के गिरफ्तार करने के बाद वह विगत 2012 से असम के सिलचर जिले के एक बंदी गृह में रह रहे थे। इन आव्रजकों को म्यांमार के राजनयिकों का काउंसलर एक्सेस दिया गया था। इसी के जरिए इन आव्रजकों की सही पहचान की पुष्टि हुई। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इन म्यांमार के नागरिक होने की पुष्टि तब हुई जब सरकार को पड़ोसी देश से उनके रखाइन राज्य का सत्यापित पता मिला।

ये भी पढ़ें: जानिए क्या है S-400, जिसके नाम से पाकिस्तान और चीन में मची सनसनी!

गौरतलब है कि सात रोहिंग्या लोगों को विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था। समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, काचार जिले के अफसरों ने बताया कि जिन्हें वापस भेजा जा रहा है। उनमें मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद,रहीम उद्दीन और मोहम्मद सलाम शामिल हैं। इनकी उम्र 26 से 32 वर्ष के बीच है।

इन कारणों से रोहिंग्या को नहीं रखना चाहती सरकार-

-केंद्र सरकार का कहना है कि भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का मौलिक अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को है।

केंद्र ने सुप्रीट कोर्ट को जवाब दिया कि रोहिंग्या मुसलमानों का देश में रहना गैर-कानूनी है। रोहिंग्या मुसलमान गैर कानूनी गतिविधियों में भी शामिल हैं। जैसे अपने दूसरे साथियों के लिए फर्जी पेन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड उपलब्ध कराना। कुछ रोहिंग्या मानव तस्करी में भी शामिल हैं।

-देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं। ये काफी बड़ी संख्या है। इस वजह से सुरक्षा से जुड़ी परेशानियां भी आ सकती हैं। सुरक्षा की बात कहते हुए केंद्र ने कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान आतंकवाद में शामिल हैं। इनके पाकिस्तान और आतंकी संगठन आइएस से भी संपर्क है जो कि हमारे देश के लिए खतरा है। इसलिए ये यहां नहीं रह सकते।

ये भी पढ़ें:

रूचि के अनुसार खबरें पढ़ने के लिए यहां किल्क कीजिए

ताजा अपडेट के लिए लिए आप हमारे फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल को फॉलो कर सकते हैं