जानिए मोदी सरकार की कौन सी योजनाओं ने कारण देश डूबा 205 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में

2014 के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने विदेश से कुल 19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2005 से 2013 तक 9 साल में UPA सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया। 

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India IMF Loan: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन इसके साथ ही देश पर कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है, साल जुलाई-सितंबर तिमाही में देश का कुल कर्ज बढ़कर 2.47 ट्रिलियन डॉलर यानी 205 लाख करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि, इस बीच डॉलर की कीमत में बढ़ोतरी का भी असर पड़ा है, जिसने कर्ज के आंकड़े को बढ़ाने का काम किया है।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें से भारत सरकार पर 161 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है।

मार्च 2023 में देश पर कुल कर्ज 200 लाख करोड़ रुपए था। यानी बीते 6 महीने में 5 लाख करोड़ रुपए कर्ज बढ़ा है।अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने कहा है कि सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा। वहीं, IMF की चेतावनी पर असहमति जताते हुए भारत सरकार ने कहा है कि ज्यादातर कर्ज भारतीय रुपए में है, इसलिए कोई समस्या नहीं है।

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205 लाख करोड़ में केंद्र और राज्य का कितना हिस्सा
सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसमें से भारत सरकार पर 161 लाख करोड़ रुपए, जबकि राज्य सरकारों पर 44 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है।

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हर भारतीय पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज
सितंबर 2023 में देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के कर्ज शामिल हैं। भारत की कुल आबादी 142 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा कर्ज है।

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कर्जा लेकर देश में कहां खर्च होता है पैसा?
अर्थव्यवस्था के जानकारों के मुताबिक, 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने कई फ्रीबीज योजनाओं की शुरुआत की है। लोगों को मुफ्त की चीजें देने के लिए सरकार पैसा कर्ज पर लेती है। सब्सिडी, डिफेंस और इसी तरह के दूसरे सरकारी खर्चों की वजह से देश का वित्तीय घाटा बढ़ता है। फ्रीबीज योजनाओं के मामले में बीजेपी की तरह ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारों ने भी कई योजनाएं लागू की। जैसे- राजस्थान में इंदिरा गांधी फ्री मोबाइल योजना, फ्री स्कूटी योजना, फ्री राशन योजना आदि।

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क्या भारत पर बढ़ें कर्ज के कारण मंहगाई पर होगा असर?
देश पर कर्ज बढ़ने का महंगाई से कोई सीधा संबंध नहीं है। सरकार कर्ज के पैसे को आय बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है। कर्ज का पैसा जब बाजार में आता है तो इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ता है।’ साथ ही उन्होंने कहा कि कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल हो तो महंगाई बढ़ भी सकती है। जैसे- कर्ज लेकर पैसा आम लोगों में बांट दिया जाए तो लोग ज्यादा चीजें खरीदने लगेंगे। इससे बाजार में चीजों की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने के बाद आपूर्ति सही नहीं रही तो चीजों की कीमत बढ़ेगी।

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अर्थव्यवस्था के जानकारों के मुताबिक, कर्ज लेना हमेशा किसी देश के लिए खराब ही नहीं होता है। भारत की इकोनॉमी 3 ट्रिलियन से ज्यादा की हो गई है। इस हिसाब से देखें तो 155 लाख करोड़ रुपए कर्ज ज्यादा नहीं है। ये पैसा सरकार वंदे भारत जैसी ट्रेन चलाने, रोड और एयरपोर्ट बनाने पर खर्च करती है, जो देश के विकास के लिए जरूरी है।

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क्यों विपक्ष हुआ मोदी सरकार पर हावी
दरअसल,2014 में केंद्र सरकार पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2023 तक बढ़कर 161 लाख करोड़ हो गया है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में भारत सरकार पर 192% कर्ज बढ़ा है। इसमें देश और विदेश दोनों तरह के कर्ज शामिल हैं। इसी तरह अब अगर विदेशी कर्ज की बात करें तो 2014-15 में भारत पर विदेशी कर्ज 31 लाख करोड़ रुपए था। 2023 में भारत पर विदेशी कर्ज बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है।

2014 के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने विदेश से कुल 19 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जबकि 2005 से 2013 तक 9 साल में UPA सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज लिया। 2005 में देश पर विदेशी कर्ज 10 लाख करोड़ था, जो 2013 में बढ़कर 31 लाख करोड़ हुआ। यानी, UPA के समय केंद्र सरकार पर 9 साल में 21 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज बढ़ा।


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