नई दिल्ली: नोटबंदी के कारण विकास दर में बड़ी गिरावट की आशंका फिलहाल गलत साबित हुई है। 2016 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी ग्रोथ 7% रही। जबकि कहा जा रहा था कि यह 5.5% से 6.5% तक रहेगी। सालभर पहले दिसंबर 2015 की तिमाही में विकास दर 7.2% थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने इस वित्त वर्ष में 7.1% ग्रोथ का अनुमान जताया है।
आईएमएफ ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस साल भारत की ग्रोथ रेट 6.6% और अगले साल 7.2% रहेगी। हालांकि जिस तिमाही की यह रिपोर्ट है उसमें से सिर्फ 50 दिन ही नोटबंदी से प्रभावित थे। चौथी तिमाही में असर ज्यादा होने की आशंका है।
अंतिम तिमाही में अधिक असर दिखने की आशंका जताई
आईएमएफऔर दुनिया की कई रेटिंग एजेंसियों ने कहा कि अंतिम तिमाही में नोटबंदी का असर ज्यादा दिखेगा। क्योंकि इस दौरान पूरा प्रभाव पड़ा है।
इन तीन वजहों से ज्यादा नहीं घटी विकास दर:
- नोटबंदी के बावजूद इकोनॉमी में खपत ज्यादा नहीं घटी। इसमें सरकारी खर्च का बड़ा योगदान रहा। सरकारी खपत में 17% इजाफा हुआ, जो सितंबर तिमाही में 15.2% बढ़ी थी।
- तीसरी तिमाही में निजी खपत में कमी आई है। पर बेहद कम। पहले यह 7.6% बढ़ी थी। नोटबंदी के कारण दिसंबर तिमाही में यह घटकर 7.2% रही है। यानी 0.4% ही घटी है।
- पूंजी निर्माण (कैपिटल फॉर्मेशन) को निजी निवेश का बड़ा इंडिकेटर माना जाता है। लगातार तीन तिमाही तक घटने के बाद दिसंबर तिमाही में यह 0.5% बढ़ गया है।
कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और खनन में तेज वृद्धि
- कृषि क्षेत्र में 6% वृद्धि हुई है। जबकि जुलाई-सितंबर की तिमाही में इसकी ग्रोथ महज 3.3% रही थी।
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 8.3% बढ़ी। जो सितंबर तिमाही में 7.1% बढ़ी थी।
- ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट में 7.2% ग्रोथ रही। पिछली तिमाही में यह 7.1% थी।
- खनन क्षेत्र में ग्रोथ रेट माइनस 1.5% से बढ़कर 7.5% हो गई।
कंस्ट्रक्शनऔर फिनांस बिगड़ा
कंस्ट्रक्शनकी विकास दर इन दो तिमाहियों में 3.5% से घटकर 2.7% हो गई। वित्तीय सेवा की ग्रोथ रेट 8.2% से घटकर 3.1% रह गई है।