नई दिल्ली: आयकर विभाग ने फॉर्म-16 के फॉर्मेट में बदलाव किया है। यह फॉर्म जारी करने वाले (नियोक्ता) को अब इसमें कर्मचारी के बारे में ज्यादा जानकारियां देनी होंगी। कर्मचारी की प्रॉपर्टी से हुई कमाई, उसे दूसरे नियोक्ताओं की ओर से मिले भुगतान की डिटेल अब फॉर्म-16 में दी जाएगी। इस बदलाव के पीछे की वजह आयकर विभाग को टैक्स चोरी की जांच में मदद मिलना बताया जा रहा है।
नए फॉर्म-16 में अलग-अलग टैक्स सेविंग्स स्कीम के तहत किए गए निवेश, उससे जुड़ी कटौतियां, कर्मचारी को मिले अलग-अलग भत्तों और दूसरे स्त्रोतों से हुई आय का ब्यौरा भी शामिल होगा। आयकर विभाग द्वारा संशोधित फॉर्म-16 इसी साल 12 मई से प्रभावी हो जाएगा। यानी वित्त वर्ष 2018-19 का रिटर्न संशोधित फॉर्म के आधार पर भी भरना होगा।
नियोक्ता अपने कर्मचारियों के लिए वित्त वर्ष खत्म होने के बाद फॉर्म-16 जारी करते हैं। इसमें कर्मचारियों के टीडीएस की जानकारी होती है। फॉर्म-16 के आधार पर ही कर्मचारी अपना आयकर रिटर्न भरते हैं। नियोक्ता आमतौर पर जून में फॉर्म-16 जारी करते हैं।
31 जुलाई तक रिटर्न फाइल भरना
इनकम टैक्स विभाग वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म नोटिफाई कर चुका है। सैलरीड के अलावा ऐसे लोग जिनके खातों का ऑडिट नहीं होना है उन्हें 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करना है।
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