संवाददाता शाहपुरा। भीलवाड़ा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक शक्तिपीठ धनोप माताजी में चेत्र नवरात्र में धनोप माता मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान आयोजित कविसम्मेलन में आमंत्रित कवियों ने एक से बढ़़कर एक प्रस्तुति से श्रोताओं को भोर तक बांधे रखा। सर्वप्रथम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह राणावत ने आमंत्रित कवियों का ट्रस्ट के पदाधिकारियों एवं सदस्यों से स्वागत करवाया। उसके बाद दौसा से आई कवियित्रि सपना सोनी ने अपने सुमधुर कंठ से माँ शारदे की आराधना “शारदे वंदन है शतबार से की, उसके पश्चात हास्य कवि दिनेश बंटी ने मेले पर अपनी नवीनतम हास्य फुलझड़ियों “भाभीजी -10 रू.में, मेले में स्थापित कंट्रोल रूम में एनाउन्समेन्ट से उत्पन्न हास्य एवं मरणोपरांत सांत्वना देने आने वाले लोगों की अजीबो-गरीब बातों से उठावना शीर्षक पर अपनी रचना से लोगों को हास्य में सराबोर कर दिया। उन्होंने कोरोना काल में शादी-ब्याह में सीमित संख्या में लोगों को बुलाने की प्रशासनिक पाबंदिया पर पैरोडी- ” भेज रहे हैं कार्ड तुम्हें पर आना नहीं, कसम तुम्हें हाथ जोड़ के -हाथ जोड़ के से भी श्रोताओं को खुब गुदगुदाया। तत्पश्चात नीमच म.प्र. से आए ओजस्वी कवि संदीप शौर्य ने पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राईक पर तीखे तेवरों में प्रस्तुत अपनी रचना “सिंहों की तेरहवीं के दिन ऐसी पैरवी की सारे गीदड़ों का काम ही तमाम हो गया” प्रस्तुत की जिस पर श्रोताओं की भरपूर तालियों एवं भारत माता की जय-जयकार के नारे लगाये। उसके पश्चात हाड़ौती बोली के सुप्रसिद्ध गीतकार बाबू बंजारा ने अपने चिर-परिचित लोक हास्य के गीतों की झड़िया लगाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया उन्होंने अपने काव्यपाठ में “ब्याण जी बाट्यां सकबा दो, बाल विवाह पर हास्य गीत- बालम लागै छ पन्दरा को म्हारी उमर पूरी बीस सुनाए।उन्होंने श्रोताओं की वन्समोर पर “सूतो कांई रे चेतक जाग, युद्ध म पवन वेग जूं भाग, दोस्ती ओर निभाल्या रे, धरां की सेवा करल्या रे” सुनाकर कविसम्मेलन को गरिमा प्रदान की। भीलवाड़ा के हास्य व्यंग्य के अद्भुत कवि महेश ओझा ने अपनी व्यंग्य रचना “थामकर रखना अमन का हाथ यारों फिर से गुंडों की जमानत हो गई है एवं सिस्टम पर छोटी -छोटी बातों से हास्य-व्यंग्य से भरपूर गुदगुदाया।” तत्पश्चात श्रृंगार रस की कवियित्रि सपना सोनी ने श्रृंगार के कई गीतों के साथ ही बेटियों पर अपना सार्थक गीत “दीप बेटा है तो बातियां बेटियां, ढाई आखर की है पातियां बेटिया। हो गये आपके बेटे गर बेवफा तो बुढापे की लाठियां बेटियां” रचना को श्रोताओं ने भरपूर दाद दी।
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