धान की पराली जलाई तो खेत मालिक पर लगेगा 15 हजार रूपए तक जुर्माना- कलक्टर

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हनुमानगढ़। खेत में धान की पराली ( फसल अवशेष) जलाने वाले अब चेत जाएं। प्रशासन अब खेत में धान की पराली जलाने वाले कृषकों के विरूद्ध सख्ती से कार्रवाई करेगा। खेत के क्षेत्रफल के हिसाब से किसानों के विरूद्ध 15 हजार रूपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। फसल अवशेष प्रबंधन की कार्ययोजना के क्रियान्वयन हेतु जिला स्तरीय समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने ये बात कही। जिला कलक्टर ने बताया कि खेत में पराली जलाने वाले किसानों के विरूद्ध खेत के क्षेत्रफल के आधार पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है।  जिसके तहत 2 एकड़ (3.30 बीघा) क्षेत्रफल तक 2500- रूपए, 2 एकड़ (3.20 बीघा) से अधिक 5 एकड़ (8 बीघा) से कम क्षेत्रफल तक 5000- रूपए तथा 5 एकड़ (8 बीघा) से अधिक क्षेत्रफल में फसल अवशेष जलाने पर 15000- रूपए तक पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना लगाया जाएगा। जिला कलक्टर ने निर्देश दिए कि उपखण्ड स्तरीय समन्वय एवं निगरानी समिति तथा ग्राम पंचायत स्तरीय समन्वय एंव निगरानी समिति की बैठक आयोजित कर कृषकों में जुर्माने को लेकर और फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जावे, ताकि फसल अवशेष को जलाने से रोका जा सके।
बैठक में उप निदेशक कृषि (विस्तार) दानाराम गोदारा ने बताया कि जिले की हनुमानगढ, टिब्बी, पीलीबंगा, संगरिया एवं रावतसर तहसीलों में कुल 36950 हैक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हुई है, जिससे अनुमानित 221700 मै0टन धान की पराली उत्पादित होगी। इससे पूर्व दिनांक 05.09.2020 को फसल अवशेष प्रबंधन (फसल कटाई पश्चात फसल अवशेष को खेत में जलाने) से रोकने हेतु जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई थी, जिसके तहत कार्ययोजना तैयार कर आयुक्त कृषि, कृषि आयुक्तालय, जयपुर को भिजवाई गई थी। उक्त कार्ययोजना के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रध्उपकरण यथा हैप्पीसीडरध्सुपर सीडर, रोटावेटर, बैलर, चौपर, स्ट्रारीपर एवं मल्चर इत्यादि 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाने के प्रस्ताव भिजवाए गए थे। उक्त यंत्र क्रय-विक्रय समिति, ग्राम सेवा सहकारी समिति, गौशालाओं, कस्टम हायरिंग सेन्टर एवं कृषकों को अनुदान पर उपलब्ध करवाकर फसल अवशेष (धान की पराली) का प्रबंधन किया जाना है, जिस हेतु बैठक में जिला कलक्टर द्वारा उक्त यंत्रों पर अनुदान स्वीकृति हेतु पुनः पत्राचार कर अतिशीघ्र उक्त संस्थाओंध् कृषकों को उपलब्ध करवाने हेतु निर्देश दिए गए।

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