सूरा सो पहचानिए, जो लरै दीन के हेत, पुरजा-पुरजा कट मरै, कबहू ना छाडे खेत’  

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हनुमानगढ़। जंक्शन की श्री सुखमणी साहिब सेवा सोसायटी द्वारा रविवार को माता गुजर कौर एवं चार साहिबजादे की शहादत को समर्पित गुरुमंत समागम का आयोजन जंक्शन माता करतार कौर कॉलोनी में किया गया। समागम में सुबह से पंडााल में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट गई। श्रद्धालुओं ने गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष मात्था टेककर आशीर्वाद प्राप्त किया। समागम में हजूरी रागी जत्था भाई गुरसेवक सिंह अमृतसर वाले, भाई आपार सिंह ने गुरू की वाणी का बखान कर संगतों को निहाल किया। उन्होने साहिबजादों व माता गुजरी की कुर्बानी की गाथा को दुनिया का एक अलग इतिहास बताया। उन्होंने कहा कि कुर्बानी की ऐसी मिसाल दुनिया में कहीं भी नहीं मिलती है। उन्होंने चारों साहिबजादों की वीरता और शहादत से प्रेरणा लेते हुए अपने धर्म पर अडिग रहने का संदेश दिया।

हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दिया। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत की आन-बान और शान के लिए चारों साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और उनकी दादी माता गुजर कौर ने अपना बलिदान दिया। अजीत सिंह और जुझार सिंह मुगलों के साथ युद्ध करते शहीद हुए। उन्होंने गुरुवाणी की पंक्ति ‘सूरा सो पहचानिए, जो लरै दीन के हेत, पुरजा-पुरजा कट मरै, कबहू ना छाडे खेत’ को सच किया। जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम कबूल नहीं करने की वजह से जिंदा दीवार में चुनवा दिया। उनकी दादी मां गुजर कौर को किले के ऊंचे बुर्ज से धक्का देकर शहीद कर दिया गया। इस तरह देश और धर्म की रक्षा में गुरु गोबिंद सिंह महाराज का सारा परिवार शहीद कर दिया गया। इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। गुरु का लंगर अटूट बरताया गया।

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