ICJ में जज चुने गए भारत के दलवीर भंडारी, कुलभूषण जाधव की उम्मीद बने

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संयुक्त राष्ट्र: अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की ओर से नामित दलवीर भंडारी के निर्वाचन पर ब्रिटेन का कहना है कि वह करीबी दोस्त भारत की जीत से खुश है। भंडारी की जीत ब्रिटेन द्वारा चुनाव से अपना प्रत्याशी वापस लिये जाने के कारण संभव हुई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भंडारी को 193 में से 183 वोट मिले जबकि सुरक्षा परिषद् में सभी 15 मत भारत के पक्ष में गये।

इस चुनाव के लिए न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुख्यालय में अलग से मतदान करवाया गया था। इस दौर के मतदान से पहले ब्रिटेन द्वारा बड़े ही आश्चर्यजनक तरीके से अपना प्रत्याशी वापस लिये जाने के कारण हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत के लिए भंडारी का पुन:निर्वाचन संभव हो सका है।

कौन है दलवीर भंडारी-

  • पद्मभूषण से सम्मानित जस्टिस भंडारी 40 साल से भी ज़्यादा समय तक भारतीय न्याय प्रणाली का हिस्सा रहे हैं। कभी वकील के रूप में, कभी हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जज तो कभी अंतरराष्ट्रीय अदालत के जज के रूप में।
  • जस्टिस भंडारी ने 1973 से 1976 तक राजस्थान हाई कोर्ट में वकालत की और उसके बाद दिल्ली आ गए। यहाँ पर वो कोर्ट में तब तक प्रैक्टिस करते रहे, जब तक 1991 में दिल्ली उच्च न्यायलय के जज नहीं बन गए।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय का जज बनने के बाद जस्टिस भंडारी बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
  • जस्टिस दलवीर भंडारी 2005 में सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए। 2012 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद वो आईसीजे में जज बन गए। 2012 में भारतीय उम्मीदवार के रूप में जस्टिस भंडारी को अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज के पद के लिए भारी मतों से चुना गया।
  • चुनाव में भारतीय उम्मीदवार जस्टिस दलवीर भंडारी को कुल 193 देशों में से 122 देशों का समर्थन मिला। जस्टिस भंडारी का कार्यकाल फ़रवरी 2018 तक रहेगा।
  • जस्टिस भंडारी से पहले 1988-90 में भारत के पूर्व चीफ़ जस्टिस आरएस पाठक को भी इस पद पर नियुक्त किया गया था।
  • जस्टिस दलवीर भंडारी को आईसीजे में जज के चुनाव के लिए भारत सरकार की ओर से किए गए नामांकन को लेकर उस समय विवाद पैदा हो गया था जब भारतीय सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके मांग की गई थी कि उनका नामांकन रद्द कर दिया जाए।
  • जनहित याचिका में कहा गया था कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भंडारी एक जज हैं और इसलिए सरकार द्वारा उनके चुनाव के लिए प्रचार किए जाने के कारण भारतीय न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।
  • लेकिन जस्टिस भंडारी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के जज के तौर पर चुने जाने के एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों अल्तमस कबीर, जे चेलामेश्वर और रंजन गोगोई की खंडपीठ ने जस्टिस भंडारी का नामांकन रद्द करने से इंकार कर दिया था।
  • भारत में पढ़ाई करने के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी ने अमरीका के शिकागो स्थित नार्थ वेस्टर्न विश्वविद्यालय से क़ानून में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का काफ़ी अनुभव लिया।
  • 1994 से ही जस्टिस भंडारी इंटरनेशनल लॉ ऐसोसिएशन, इंडिया चैप्टर के सदस्य हैं. 2007 में वो सर्वसम्मति से इंडिया इंटरनेशनल लॉ फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष चुने गए।
  • जस्टिस दलवीर भंडारी ने एक पुस्तक भी लिखी है- ‘ज्यूडीशियल रिफ़ॉर्म्स : रीसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’
  • इस अंतरराष्ट्रीय अदालत की स्थापना 1945 में हुई थी, तबसे ऐसा पहली बार होगा जब इसमें कोई ब्रिटिश जज नहीं होगा।आईसीजे के 15 जजों में से तीन जज अफ़्रीका से और तीन जज एशिया के हैं और उनके अलावा दो जज लातीनी अमरीका और दो पूर्वी यूरोप से हैं। पाँच जज पश्चिम यूरोप और अन्य इलाकों से होते हैं।

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