नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की छह हफ्ते की छुट्टी खत्म हो रही है। अगले हफ्ते से फिर काम शुरू होगा। जुलाई में ही 3 बड़े केस पर फैसले आ सकते हैं। पहला मामला अयोध्या का है। कोर्ट को ये तय करना है कि केस की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी या पांच जजों की। दूसरा मामला दिल्ली का।
सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि असल में दिल्ली का सुपर बॉस कौन है- दिल्ली सरकार या उपराज्यपाल? और तीसरा मामला आधार की संवैधानिकता का। इसमें सरकारी योजनाओं को आधार लिंक करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
मामला नम्बर-1 अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त 2017 से सुनवाई शुरू हुई थी। अलग-अलग भाषाओं के दस्तावेजों के अनुवाद को लेकर ही करीब छह महीने मामला अटका रहा। 8 फरवरी को सुनवाई शुरू हुई तो मुस्लिम पक्षकारों ने तीन की बजाय पांच जजों की संविधान पीठ की मांग रख दी। तब से इसी बात पर करीब एक दर्जन सुनवाई हो चुकी है। अब 5 जुलाई को सुनवाई है। इस फैसले के बाद ही मामले की नियमित सुनवाई शुरू हो पाएगी।
मामला नम्बर-2 आधार की अनिवार्यता पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 17 जनवरी से सुनवाई शुरू की थी। चार महीने में 38 दिन चली 130 घंटे की मैराथन सुनवाई के बाद 10 मई को फैसला सुरक्षित रखा गया। यह इतिहास की दूसरी सबसे लंबी चलने वाली सुनवाई है। पहला मामला केशवानंद भारती का है, जो 68 दिन चला था। अब उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट इसी महीने इस पर फैसला सुना देगा।
मामला नम्बर-3 दिल्ली का बॉस कौन है- चुनी हुई दिल्ली सरकार या उपराज्यपाल? सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 2 नवंबर से मामले की सुनवाई शुरू की थी। महज 15 सुनवाई में पूरे मामले को सुनने के बाद 6 दिसंबर 2017 को अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी के बीच प्रशासकीय अधिकारों पर चल रहे इस विवाद में भी जुलाई में फैसला आ सकता है।
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