हनुमानगढ़। जंक्शन स्थित श्रीगोविन्द गौधाम गौशाला में गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में हवन यज्ञ, गौपूजन व सुन्दरकांड पाठ का आयोजन किया गया। प्रातः 9 बजे से हवन यज्ञ में यजमानों ने हवन यज्ञ में आहुति डालकर शहर की सुख स्मृद्धि व खुशहाली की कामना की। प्रातः 10ः15 बजे नगरपरिषद सभापति गणेशराज बंसल द्वारा सपत्नी पार्षद संतोष बंसल के साथ विधिवत गौमाता की पूजा अर्चना की। गौशाला में कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क व सैनेटाईजर की पूर्ण पालना की गई। गौशाला में गोपाष्टमी में विशेष रूप से 4-4 लोगों को गौपूजन के लिये स्वीकृती दी गई जिसमें चार लोगों के पूजन करने के पश्चात की दुसरे चार लोगों को पूजन के लिये अंदर जाने दिया गया और पूर्ण रूप से मास्क व सैनेटाईजर की व्यवस्था की गई। प्रातः 10 बजे से पूरा दिन इसी क्रम में गौपूजन करवाया गया। प्रातः 11 बजे सुन्दरकांड मित्र मण्डली द्वारा गौशाला प्रांगण में सुन्दरकांड पाठ किया गया जिसके पश्चात गौमाता को भोग लगाकर श्रद्धालुओं में डिब्बा पैक कर प्रसाद का वितरण किया गया। गौशाला समिति के अध्यक्ष इन्द्र हिसारिया ने बताया कि भारतीय मान्यता है कि गऊ में सभी देवी -देवताओं का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा, उपासना, सेवा-सुश्रूषा से सभी देवताओं का पूजन अपने आप हो जाता है। इसलिए गोमाता के पूजन की भारतीय समाज में बड़ी मान्यता रही है। इस दिन प्रातः काल में गउओं को स्नान आदि कराया जाता है तथा बछडे़ सहित गाय की पूजा करने का विधान है। प्रातःकाल में ही धूप-दीप, गंध, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड़, जलेबी, वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और आरती उतारी जाती है। इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को भी उपहार आदि देकर उनका भी पूजन करते हैं। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गोशाला में गोसंवर्द्धन हेतु गौ पूजन का आयोजन किया जाता है। गोमाता पूजन कार्यक्रम में सभी लोग परिवार सहित उपस्थित होकर पूजा अर्चना करते हैं। सभी लोग गो माता का पूजन कर उसके वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्त्व को समझ कर गोरक्षा व गोसंवर्द्धन का संकल्प करते हैं। शास्त्रों में गोपाष्टमी पर्व पर गायों की विशेष पूजा करने का विधान निर्मित किया गया है। इस दिन गोमाता को सुसज्जित करके गंध पुष्पादि से उनका पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात यदि संभव हो तो गायों के साथ कुछ दूर तक चलना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस मौके पर नंदलाल तायल, रघुवीर बंसल, कुंज बिहारी महर्षि, बीरबल जिन्दल, वीरेन्द्र जिन्दल बब्बी भटेवाले, मनीष बतरा, रामकुमार, मुकेश महर्षि, भारतेन्दू सैनी, सुरेश कुमार, सौरभ जिन्दल व अन्य गौभक्त मौजूद थे।
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